CA: मध्यप्रदेश के छोटे से जिले मुरैना से ताल्लुक रखने वाली नंदिनी अग्रवाल आज पूरे चंबल अंचल ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में सबसे कम उम्र की महिला सीए बन गईं हैं।वर्ष 2021 में आयोजित सीए की परीक्षा में नंदिनी ने पूरे भारत में पहला स्थान पाया। अब गिनीज आफ वर्ल्ड रिकार्ड में नंदिनी का नाम विश्व की सबसे कम उम्र की महिला सीए के तौर पर दर्ज किया गया है।
नंदिनी अग्रवाल 19 साल 330 दिन की उम्र में सीए बन गई थीं। वर्तमान में मुंबई में सिंगापुर सरकार की कंपनी में नौकरी कर रही हैं। नंदिनी अग्रवाल बचपन से ही मेधावी रहीं। जब बच्चों को यूकेजी व एलकेजी में ककहरा और एबीसीडी के शब्द हाथ पकड़कर बनाना सिखाया जाता है, उस उम्र में नंदिनी हिंदी व अंग्रेजी पढ़ने व लिखने लगी थीं।
नंदिनी की प्रतिभा को देखकर ही स्कूल प्रबंधन ने एलकेजी में पढ़ रही नंदिनी को पदोन्नत कर कक्षा दो में दाखिला दे दिया।वह अपने बड़े भाई सचिन अग्रवाल के साथ पढ़ने लगीं। दोनों भाई-बहन ने दूसरी से लेकर सीए तक की पढ़ाई साथ-साथ की। 2021 में हुई सीए फाइनल में नंदिनी ने 800 में से 614 अंक लेकर ऑल इंडिया प्रथम स्थान हांसिल किया।
CA: मां को दिया सफलता का श्रेय
CA: मध्यम वर्गीय परिवार से आने वालीं नंदिनी के पिता नरेश चंद कर सलाहकार हैं और मां डिंपल गृहिणी हैं। अपनी सफलता का श्रेय नंदिनी मां डिंपल को देती हैं।दो अंतरराष्ट्रीय परीक्षा पास, अब डाक्टर नंदिनी 180 देशों में मान्य सीए चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने के बाद नंदिनी ने दो अंतरराष्ट्रीय परीक्षा दीं। जिनमें पहले एसीसीए की अंतरराष्ट्रीय परीक्षा में देश में पहला और विश्व में 7वीं रैंक हासिल की।
इस परीक्षा में 180 देशों के सीए शामिल हुए, परीक्षा पास करने के बाद नंदिनी अब विश्व के 180 देशों में मान्य सीए है और किसी भी देश में नौकरी कर सकती हैं। तीन महीने पहले नंदिनी ने वर्ल्ड रिकार्ड यूनिवर्सिटी से यंगेस्ट चार्टेट अकाउंटेंट विद ऑल इंडिया रैंक वन विषय में पीएचडी की उपाधि भी ली है। अब वह एमबीए करना चाहती हैं।
CA: स्कूल में गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड होल्डर को देख मन में उठा जज्बा
CA: नंदिनी ने बताया कि जब वह कक्षा 11वीं में पढ़ती थी। उनके स्कूल में एक बार गिनीज आफ वर्ल्ड रिकार्ड होल्डर आए थे। उन्हें सब लोग बड़ी इज्जत दे रहे थे और पूरे सम्मान से बात कर रहे थे। उन्हें देखकर ही मैंने गिनीज आफ वर्ल्ड रिकार्ड में अपना नाम दर्ज करवाने का सपना देखा। अब मेरा यह सपना भी पूरा हुआ।
रोजाना 12 से 15 घंटे की पढ़ाई का क्रम उन्होंने कभी नहीं तोड़ा। यही अनुशासन काम आया। सीए परीक्षा के दौरान मोबाइल व टीवी से दूरी बनाकर रखी। मुझे बैडमिंटन, टेबल टेनिस खेलने व दौड़ने का शौक था। दिल्ली मैराथन में वह कई बार भाग ले चुकी हैं।
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