उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) में हुई हिंसा पर वरुण गांधी (Varun Gandhi) ने एक बार फिर ट्वीट किया है। इस ट्वीट में वरुण गांधी अपनी ही पार्टी पर सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लखीमपुर खीरी की घटना को हिंदू बनाम सिख की लड़ाई में तब्दील करने की कोशिश हो रही है।
Akhilesh Yadav ने कहा किसानों के आंदोलन ने सबको कर दिया एक
जगजाहिर है भारतीय जनता पार्टी को विपक्षी दल धर्म की राजनीति करने वाली पार्टी कहता है। पांच राज्यों में साल 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाला है। किसानों का मुद्दा भी देशभर में गर्म है। केंद्र को समझ मे नहीं आ रहा है कि इस मुद्दे को कैसे शांत किया जाए। लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के बाद किसान संगठन और विपक्षी दल कह रहे हैं कि कृषि कानून के खिलाफ इस लड़ाई को हिंदू बनाम सिख बनाने की कोशिश हुई थी लेकिन बीजेपी नाकाम रही।
यही बात आज समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने 10 अक्तूबर को यूपी के सहारनपुर में जनता को संबोधित करते हुए कहा। उन्होंने एक रैली में कहा कि किसानों की इस लड़ाई को धर्म का रंग देने की कोशिश की गई लेकिन इस आंदोलन से किसान एक हो गया है। कोई हिंदू और मुस्लिम नहीं है।
Varun Gandhi ने बीजेपी के खिलाफ खोला मोर्चा
वरुण गांधी के इस ट्वीट ने मामले को और गर्म कर दिया है। कहीं ना कहीं गांधी ट्वीट कर विपक्ष के आरोपों को पक्का कर रहे हैं। वरुण गांधी ने अपने पूरे ट्वीट में लिखा, “लखीमपुर खीरी की घटना को हिंदू बनाम सिख की लड़ाई में तब्दील करने की कोशिश हो रही है। ये न सिर्फ अनैतिक है बल्कि झूठ भी है। ऐसा करना ख़तरनाक है और उन जख्मों को कुरेदने जैसा है, जिन्हें ठीक होने में पीढ़ियाँ लगीं। हमें तुच्छ राजनीति को राष्ट्रीय एकता के ऊपर नहीं रखना चाहिए।”
ध्यना देने वाली बात है। पिछले 11 माह से किसान तीनों कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं। दिल्ली के दहलीज पर किसान बारिश, ठंड, होली, दीवाली में सड़कों पर ही डटे हैं। किसान सिंघु बॉर्डर, गाजपीर बॉर्डर और टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे हैं। किसानों का यह आंदोलन केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानून के खिलाफ है। किसान कृषि कानून के साथ केंद्र की बीजेपी सरकार की भी खिलाफत कर रहे हैं। बीजेपी का कोई भी नेता इस मुद्दे पर किसानों का समर्थन करते हुए नहीं दिख रहा है लेकिन उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से बीजेपी के सांसद वरुण गांधी अक्सर किसानों के समर्थन में ट्वीट पर ट्वीट करते रहते हैं।
अपनी ही पार्टी में हाशिए पर हैं Varun Gandhi
कहा जा रहा कि गांधी अपनी ही पार्टी में हासिए पर हैं। इसलिए वे जनता के दिल में अलग जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी मां मेनका गांधी को भी बीजेपी ने साइड कर दिया है। मेनका गांधी को मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में जगह तो मिली थी जिसमें उन्हें बाल विकास मंत्रालय मिला था लेकिन दूसरे कार्यकाल में कोई जगह नहीं मिली। सात अक्टूबर को बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य नामों की लिस्ट जारी हुई तो उसमें ना तो वरुण गांधी का नाम था और ना ही उनकी माँ मेनका गांधी को। बीजेपी के इस फैसले को पार्टी की वरुण गाँधी से नाराजगी के तौर पर देखा जा रहा है।
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यहां पर गौर करने वाली बात यह है कि वरुण गांधी जिस पार्टी में हैं वह किसानों के आंदोलन पर 11 माह से कोई गौर नहीं कर रही है। उसी पार्टी के सांसद किसानों को अपना पूरा समर्थन दे रहे हैं। पर उनका यह समर्थन सिर्फ ट्विटर पर दिख रहा है। कांग्रेस पार्टी की नेता अल्का लांबा सवाल उठा चुकी हैं कि वरुण गांधी जब किसानों का समर्थन कर रहे हैं तो जमीन पर क्यों नहीं कर रहे हैं। ट्वीट ट्वीट कर समर्थन क्यों कर रहे हैं।
Varun Gandhi को दरकिनार का हो रहा है एहसास
आठ अक्टूबर को पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने वरुण गांधी पर निशाना साधते हुए कहा था, ”मैं वरुण गाँधी को सुझाव दूँगी कि अगर वह लखीमपुर खीरी में कुचले गए किसानों के लिए अपनी लड़ाई को लेकर ईमानदार हैं, तो उन्हें ट्विटर पर लड़ाई लड़ने के बजाय भाजपा छोड़कर सड़कों पर उतरना चाहिए और अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए।”
साल 2004 में बीजेपी में शामलि हुए वरुण गांधी को पार्टी धीरे धीरे बाहर कर रही है। इस बात का सबूत बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी ही दे रही है। शायद वरुण गांधी को इस बात का एहसास हो चुका है कि बीजेपी उन्हें दरकिनार कर रही है इसलिए वह पार्टी को छोड़ जनता के बीच एक नई पहचान बानाने में जुट गए हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि गांधी ब्रदर्स एक साथ आ सकते हैं।
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