हर साल 14 जुलाई को फ्रांस अपना राष्ट्रीय दिवस मनाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसी समारोह में शामिल होने फ्रांस पहुंचे हुए हैं। दरअसल इसी दिन 1789 को बैस्टिल किले पर फ्रांस के आम लोगों ने हमला बोला था। यह फ्रांसीसी क्रांति की अहम घटना थी।
दरअसल राजा लुई सोलहवें के शासन में फ्रांस में गहरा आर्थिक संकट पैदा हो गया था। अमेरिकी क्रांति में दखल देने, गलत तरीके से टैक्स वसूली करने और खराब कृषि परिस्थितियों ने फ्रांस में ऐसे हालात पैदा कर दिए थे। इसके अलावा, लुई सोलहवें ने राजशाही का दिखावा करते हुए बेतहाशा धन लुटाया जिससे परेशानियां और बढ़ गईं।
साल 1789 में फ्रांस के सुधारवादी और रूढ़िवादियों के बीच तत्कालीन आर्थिक संकट से निपटने को लेकर तनाव की स्थिति उतपन्न हो गई थी। मई आते-आते फ्रांसीसी समाज का वर्ग संघर्ष सामने आ गया। एक ओर पादरी, राजपरिवार और कुलीन लोग थे तो दूसरी ओर आम जनता। इस्टेट जनरल लेजिस्लेटिव असेंबली के खिलाफ जाकर आम लोगों ने नेशनल असेंबली बनाई और 20 जून को संविधान लिखने की कसम खाई।
11 जुलाई को लुई सोलहवें के वित्त मंत्री को उनके पद से हटा दिया गया। जो कि आम आदमी के प्रति झुकाव रखते थे। इस फैसले से पैरिस के लोग खफा हो गए। नए वित्त मंत्री के फैसलों से स्थिति और खराब हो गई। फिर क्या था, आम लोगों ने खुद को हथियारबंद किया। 14 जुलाई को एक भीड़ ने बैस्टिल किले पर हमला बोल दिया। यह किला हथियार रखने,राजनीतिक कैदियों को रखने के काम आता था।
इस घटना के बाद 4 अगस्त को समाज से सामंतवाद का अंत कर दिया गया। 26 अगस्त को नागरिकों के अधिकारों की घोषणा की गई। इसलिए 14 जुलाई फ्रांस के लोगों के लिए यादगार है। इस दिन को राष्ट्रीय एकता के तौर पर देखा जाता है। इस दिन दावतों का आयोजन होता है और लोगों खुशी से आतिशबाजी भी करते हैं।