बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) के इंटर स्तरीय परीक्षा प्रश्नपत्र लीक होने के मामले में बिहार पुलिस की एसआइटी टीम को बड़ी कामयाबी मिली है। एसआइटी ने फरार चल रहे बीएसएससी के अध्यक्ष सुधीर कुमार को झारखंड के हजारीबाग से गिरफ्तार कर लिया है। झारखंड कोर्ट में पेशी के बाद सुधीर कुमार को पटना लाने की तैयारी हो रही है।
इससे पहले इसी मामले में एसआइटी ने गुजरात के अहमदाबाद से प्रिंटिंग प्रेस के मालिक को हिरासत में लेकर पटना आई थी। उससे भी पूछताछ चल रही है। ख़बरों के मुताबिक अध्यक्ष की गिरफ्तारी प्रिंटिंग प्रेस मालिक की निशानदेही पर की गई है। एसआइटी ने सुधीर कुमार के साथ ही उनके चार रिश्तेदारों को भी हिरासत में लिया है। सभी से पुलिस पूछताछ कर रही है। पुलिस के मुताबिक अध्यक्ष का भांजा और बहू आयोजित होने वाली परीक्षा में अभ्यर्थी थे। सुधीर पर आरोप है कि अपने परिवार के सदस्यों को फायदा पहुंचाने के लिए उन्होंने पर्चा लीक करवाया था। प्रिंटिंग प्रेस के मालिक और अध्यक्ष के परिवार के सदस्यों को गुप्त स्थान पर रखकर पूछताछ की जा रही है।
पटना के एसएसपी मनु महाराज ने खबर की पुष्टि करते हुए बताया कि बीएसएससी अध्यक्ष को गिरफ्तार किया गया है और उनके साथ अन्य लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। वहीं, दूसरी तरफ सुधीर कुमार के समर्थन और उनकी गिरफ्तारी के विरोध में बिहार आईएएस एसोसिएशन का एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर विरोध दर्ज करा सकता है। आपको बता दें की सुधीर कुमार 1987 बैच के आईएस अफसर हैं और अध्यक्ष बनने से पहले कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं।
गौरतलब है कि बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) की परीक्षा से पहले ही इसके प्रश्नपत्र व्हाट्स एप्प पर वायरल हो गए थे। छात्रों के विरोध और जगहंसाई के बाद जागी सरकार ने आनन् फानन में जांच के आदेश दे दिए थे। जिसके बाद पुलिस द्वारा की गई कारवाई में अध्यक्ष और प्रिंटिंग प्रेस मालिक से पहले अब तक बोर्ड के सचिव सहित छः अन्य लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। बिहार में टॉपर घोटाले के बाद शिक्षा से जुड़ा यह दूसरा घोटाला है।
पुलिस की कारवाई और अध्यक्ष की गिरफ्तारी के बाद अब भी कई लोग पुलिस की नजर में हैं। ऐसे लोगों पर पुलिस नजर रखे हुए है जिनके नाम अब तक इस मामले से जुड़ते रहे हैं। ऐसे में यह आशंका प्रबल है कि आने वाले दिनों में अभी कई और गिरफ्तारी देखने को मिल सकती है। बहरहाल शिक्षा को बर्बाद करने के इस खेल में शामिल तथाकथित मंत्री और नेताओं के नाम अभी तक स्पष्ट नहीं हुए हैं न ही कोई कारवाई देखने को मिली है। अब देखना है कि जांच कितनी निष्पक्ष होती है और किन बड़े नामों पर कारवाई संभव हो पाती है।