दिल्ली के संगम विहार इलाके से छः फरवरी को एटीएम से 2,000 रुपये के ‘चूरन लेबल’ वाले नोट निकलने की शिकायत पर कारवाई करते हुए पुलिस ने एटीएम में पैसे डालने वाली कंपनी ब्रिंक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के कर्मचारी मोहम्मद ईशा को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस उसके दोस्तों और परिजनों से पूछताछ के आधार पर आरोपी तक पहुँचने में कामयाब हुई है।
पुलिस विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि आरोपी मोहम्मद ईशा मीडिया में घटना के आने के बाद से ही संगम विहार स्थित अपने दूसरे घर में छिपा हुआ था। ईशा ने पुलिस की पूछताछ में अपना गुनाह कबूल करने के साथ कई अहम खुलासे किए हैं। ईशा के निशाने पर संगम विहार, देवली गांव, तिगड़ी और तुगलकाबाद जैसे निम्न मध्यम वर्ग बहुल इलाके थे। इन इलाकों को चुनने के पीछे की वजह थी कि इन इलाकों में रहने वाले लोग जागरूक नहीं है। लोग नकली नोट निकलने की बैंक से शिकायत नहीं करेंगे। इसी बात को ध्यान में रखते हुए उसने ऐसे इलाकों में एसबीआई के एटीएम में चूरन वाले पैसे भरने की योजना तैयार की थी। उसकी योजना 50 से ज्यादा चूरन के नोट को बदलने की थी। पुलिस को दिए बयान में उसने बताया कि प्रयोग के तौर पर पहली बार यहां पांच नोट डाले और पकड़ा गया।
इस मामले में हुई अब तक की जांच के बारे में जानकारी देते हुए दक्षिण–पूर्व दिल्ली पुलिस उपायुक्त ने कहा, ‘‘आरोपी की पहचान पहले ही कर ली गई थी और आज हमने उसे गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी संगम विहार इलाके का ही रहने वाला 27 साल का मोहम्मद ईशा है। एटीएम में पैसा डाले जाते समय ईशा नकदी का संरक्षक था।’’ आरोपी की पहचान एटीएम के आसपास के इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरे से मिले फुटेज की गहराई से छानबीन के बाद हो सकी थी। आरोपी से पूछताछ के साथ मामले की जांच अभी जारी है। दिल्ली के बाद पंजाब के लुधियाना में भी ऐसे ही चूरन वाले नोटों के एटीएम से निकलने का मामला प्रकाश में आया है हालांकि अधिकारियों ने इस बात से इंकार किया है।
गौरतलब है कि एटीएम से रूपए निकालने पहुंचे युवक ने जब पैसे निकाले तो नोटों पर ‘रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया’ की जगह ‘चिल्ड्रन बैंक ऑफ इंडिया’ लिखा था। दिलचस्प बात यह है इसी इलाके के एक पुलिस सब–इंस्पेक्टर को भी इसी एटीएम से 2,000 रुपये का ऐसा ही चूरन वाला नोट मिला था। इसके बाद पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 489-बी, 489-ई तथा 420 के तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी तथा संबंधित अपराधों का मामला दर्ज किया था। नकली के बाद चूरन वाले नोटों के निकलने की घटना के बाद एटीएम में नोटों की पहचान करने वाले सॉफ्टवेयर की विश्वसनीयता भी संदेह के घेरे में आ गई है। इसके साथ ही सरकार के काले धन और जाली नोटों से लड़ाई को ध्यान में रख कर की गई नोटबंदी पर भी सवाल उठने लगे हैं।