त्योहारों की पहली लाइन में महाशिवरात्रि का पर्व भी शामिल है। महाशिवरात्रि हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में आता हैै। लोग इसे बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। शिव भक्त के लिए शिवरात्रि सबसे प्रिय त्योहार है। इस बार चतुर्दशी 11 मार्च को है और महाशिवरात्रि इसी दिन मनाई जाएगी। वैसे कहा जाता है कि, शिवरात्रि साल में दो बार आती है। एक फाल्गुन के महीने में तो दूसरा श्रावण मास में। फाल्गुन के महीने की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। महाशिवरात्रि चतुर्दशी के दिन मनाई जाती है। मान्यता है कि शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था।
निशीथ काल पूजा का समय
11 मार्च, रात 12 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 55 मिनट तक पहला प्रहर- 11 मार्च, शाम 06 बजकर 27 मिनट से 09 बजकर 29 मिनट तक दूसरा प्रहर- रात 9 बजकर 29 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक तीसरा प्रहर- रात 12 बजकर 31 मिनट से 03 बजकर 32 मिनट तक चौथा प्रहर- 12 मार्च, सुबह 03 बजकर 32 मिनट से सुबह 06 बजकर 34 मिनट तक महाशिवरात्री पारणा मुहूर्त- 12 मार्च, सुबह 06 बजकर 36 मिनट से दोपहर 3 बजकर 04 मिनट तक
इसतरह महादेव को करें खुश
कहते हैं देवों के देव महादेव काफी गुस्से वालें हैं। इसलिए इन्हें बेल पत्र चढ़ाया जाता है।108 बेल पत्र चढ़ाने से महादेव खुश होते हैं। कहा जाता है कि, बेल पत्र से मस्तिष्क ठंडा रहता है। इसके साथ आप शिवलिंग पर कच्चा दूध, गन्ने का रस, धतूरा अदि चढा सकते हैं। फूल में शिव जी को चमेली का फूल बेहद प्रिय है।
पूजा विधी
शिवरात्रि को भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान करा कराएं. केसर के 8 लोटे जल चढ़ाएं. पूरी रात्रि का दीपक जलाएं. चंदन का तिलक लगाएं. बेलपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं. सबसे बाद में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर प्रसाद बांटें. ॐ नमो भगवते रूद्राय, ॐ नमः शिवाय रूद्राय् शम्भवाय् भवानीपतये नमो नमः मंत्र का जाप करें. इस दिन शिव पुराण का पाठ जरूर करें. महाशिवरात्री के दिन रात्रि जागरण किया जाता है।