केंद्र सरकार ने नीट की तरह ही इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर कॉलेजों में भी साल 2018-19 से एक ही प्रवेश परीक्षा कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। मेडिकल में प्रवेश के लिए एकल परीक्षा नीट की तरह अब इंजीनियरिंग के लिए भी एक ही परीक्षा होगी। अगले वर्ष से इसी परीक्षा से देश के साढ़े तीन हजार इंजीनियरिंग कॉलेजों में नामांकन मिलेगा। इस परीक्षा की खूबी यह होगी कि स्कोलैस्टिक असेसमेंट टेस्ट (सैट) की तरह यह साल में दो बार आयोजित की जाएगी और छात्रों के बेस्ट स्कोर को भी इसमें शामिल किया जाएगा।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने शुक्रवार को इस बारे में अधिसूचना जारी कर दी है। एकल परीक्षा के प्रस्ताव को 2018 से लागू करने की मंजूरी देते हुए एआईसीटीई को इसके लिए आवश्यक नियम बनाने को कहा गया है। परीक्षा का खाका तैयार करने के बाद केंद्र सरकार राज्यों से विचार-विमर्श करेगी। एकल परीक्षा आयोजित कराने के पीछे सरकार का लक्ष्य इंजीनियरिंग शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है। इसके साथ ही प्रवेश परीक्षा में होने वाली गड़बड़ियों को रोकना है, जिसमें कैपिटेशन फीस वसूली जैसी शिकायतें शामिल हैं। सरकार का मकसद छात्रों को एक से अधिक परीक्षाओं से मुक्ति दिलाना है। बताया जा रहा है कि नीट की ही तरह कॉमन टेस्ट भी कई भाषाओं में होगा।
गौरतलब है कि भारत में मौजूद इंजीनियरिंग कॉलेज की 17 लाख सीटें के अलग-अलग पाठ्यक्रमों में नामांकन की प्रतीक्षा के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे 9 लाख छात्र नामांकन लेते हैं। बाकी 8 लाख सीटें खाली रह जाती हैं। देश में आईआईटी के अलावा 3500 इंजीनियरिंग कॉलेज हैं अभी देश भर के अलग अलग संस्थानों द्वारा दाखिले के लिए 40 से ज्यादा टेस्ट होते हैं।