Supreme Court:जस्टिस अजय रस्तोगी की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले पर 1 मार्च को सुनवाई करेगा।कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद कहा कि इस मुद्दे को लेकर सरकार द्वारा गठित किए गए बोर्ड के द्वारा कुछ सुझाव दिए हैं।
कोर्ट ने कहा कि याचिका में सभी मामलों के साथ-साथ अलग मांग के लिए दाखिल अंतरिम आवेदनों की भी जांच की जाएगी। अधिनियम के मापदंडों के तहत जितना संभव हो सके उनका समाधान करें।
दरअसल सरोगेसी कानून 2021 के अविवाहित महिलाओं को सरोगेसी का लाभ उठाने से रोकने के लिए सरोगेसी कानून के प्रावधानों को चुनौती दी गई है। जिसमें अविवाहित महिलाओं को सेरोगेसी के लिए इच्छुक महिला के दायरे से बाहर रखा गया है।
ऐसा करना अविवाहित या सिंगल महिलाओं को सेरोगेसी से रोक लगाना, समानता के अधिकार, संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होता है।सरोगेसी कानून 2021 के तहत सेरोगेसी की इच्छुक महिलाओं में 35 से 45 साल की उम्र के बीच की विधवा या तलाकशुदा भारतीय महिलाएं महिलाए होंगी।
Supreme Court: अनुच्छेद 14 का उल्लंघन
Supreme Court: जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने अपने आदेश में अविवाहित महिला द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया। कहा कि याचिका की एक प्रति अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी के कार्यालय को उपलब्ध कराई जाए, जो पहले ही एक ऐसे केस में पेश हो रही हैं।
याचिका में महिला ने कहा कि विवाहित महिलाओं, विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं को ही सरोगेसी के लाभों तक पहुंच देने और अविवाहित या सिंगल महिलाओं पर रोक लगाने से संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होता है।
अनुच्छेद-14 समानता के अधिकार से संबंधित है। याचिका में यह भी कहा गया कि इस तरह का प्रावधान एक महिला के स्वायत्तता के अधिकार और उसके प्रजनन निर्णयों पर नियंत्रण का उल्लंघन करता है।
विधायिका सरोगेसी के लिए कानून आयोग द्वारा दी गई सिफारिशों को लागू करने में विफल रही है, जिसमें अविवाहित महिला को भी सरोगेसी के अधिकार में शामिल करने को कहा गया था।
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