Dhirubhai Ambani Birthday: रिलायंस इंडस्ट्री के संस्थापक और भारतीय उद्योग जगत के नामी चेहरे धीरूभाई अंबानी न सिर्फ हिंदुस्तान के बल्कि दुनिया के महानतम एंटरप्रेन्योर माने जाते हैं। धीरूभाई ने कामयाबी का सफर जिस तरह तय किया वह करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा है। कारोबार जगत के इस दिग्गज का जन्म 28 दिसंबर 1932 को हुआ था, उनका पूरा नाम धीरजलाल हीराचंद अंबानी था। अपने कामयाबी के सफर में धीरूभाई पहले तो परिवार सहित यमन जाते हैं। वहां गैस स्टेशन पर अटेंडेंट की नौकरी करते हुए क्लर्क बनते हैं। इसके बाद भारत लौटने पर उनका कारोबार पेट्रोकेमिकल, कम्युनिकेशन, पावर और टेक्सटाइल के क्षेत्र तक फैलता जाता है। बताया जाता है कि 1958, में धीरूभाई सिर्फ 500 रुपये लेकर मुंबई आए थे। इसके बाद साल 2002 में जब उन्होंने आखिरी सांस ली तो वे दुनिया के 138वें अमीर आदमी थे। उनके निधन के समय उनकी कुल संपत्ति 24 हजार करोड़ रुपये थी।

आज उनके जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनसे जुड़ा एक ऐसा किस्सा बताएंगे जो आपको मालूम नहीं होगा। धीरूभाई को गांव के स्कूल में पांचवीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद जूनागढ़ पढ़ने के लिए भेजा गया था। स्कूल में रहते हुए धीरूभाई जूनागढ़ छात्र संघ के नेता बन गए और जनरल सेक्रेटरी का चुनाव जीता। उस समय जूनागढ़ में राजशाही कायम थी। जूनागढ़ के नवाब ने आजादी के बाद भारत के साथ विलय से इंकार कर दिया था। यहां तक कि जूनागढ़ के लोगों को आजादी का जश्न मनाने पर भी रोक थी।
Dhirubhai Ambani Birthday: जूनागढ़ के नवाब के खिलाफ खड़े हुए धीरूभाई अंबानी
इस रोक के खिलाफ धीरूभाई अंबानी ने छात्रों की मीटिंग बुलाई वहां ध्वजारोहण किया और भाषण दिया। बात पुलिस तक पहुंची लेकिन पुलिस ने धीरूभाई की कम उम्र को देखते हुए कार्रवाई नहीं की। इस बीच उनसे कई घंटे तक पूछताछ की गयी लेकिन बाद में उनको छोड़ दिया गया। वहीं जब जूनागढ़ में प्रजा मंडल आक्रोश ने तूल पकड़ लिया तो जूनागढ़ के नवाब ने इसे कुचलने की कोशिश की। उस समय धीरूभाई अपने साथियों के साथ मिलकर दीवार पर नारे लिखा करते और इस आंदोलन में जमकर भागीदारी करते थे। वे अपनी कमीज में प्रतिबंधित किताबें ,साहित्य और पर्चे छिपा लेते और विद्रोहियों के बीच बांटा करते थे। बाद में जूनागढ़ के नवाब पाकिस्तान भाग गए थे और जूनागढ़ भारत में शामिल हो गया।
अपने छात्र जीवन के बारे में धीरूभाई ने एक बार खुद बताया था, ”वो दिन मेरी जिंदगी के सबसे रोमांचक दिन हुआ करते थे। एक बार सरदार पटेल जूनागढ़ आए थे और लोगों को संबोधित किया था। सरदार पटेल से मिलने के लिए मैं बहुत उत्सुक था, वो मेरे हीरो हुआ करते थे। उस दिन उनसे मिलने के लिए मैंने मेरी हाफ पेंट और कमीज प्रेस की थी। जूते पॉलिश किए थे और नए मोजे भी खरीदे थे। मैं मंच तक गया और सरदार पटेल को करीब से देखा, मेरे लिए उस समय यही बहुत था। ”
( Source- Dhirubhai.net)
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