मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने साढ़े चार वर्षों में देश की अर्थव्यस्था को तहस-नहस कर दिया है और अब शक्तिकान्ता दास को गवर्नर बनाकर भारतीय रिजर्व बैंक का अधिग्रहण कर लिया है जो देश के लिए बहुत खतरनाक है। लोकसभा में पार्टी के उपनेता मोहम्मद सलीम ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत में यह आरोप लगाया कि पहले मोदी सरकार ने रिज़र्व बैंक के बोर्ड में संघ से जुड़े लोगों और अर्थशास्त्र की दृष्टि से अनपढ़ लोगों को सदस्य बनाया और उसके रिज़र्व पैसे को हड़पने की कोशिश की जिस पर पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल से टकराव हुआ और उन्होंने इस्तीफा दे दिया तो शक्तिकान्ता दास को गवर्नर बनाकर रिजर्व बैंक का अधिग्रहण ही कर लिया।
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी रिजर्व बैंक के मुद्दे के अलावा कृषि संकट और राफेल लड़ाकू विमान सौदे की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति गठित करने की मांग संसद के चालू सत्र में उठायेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कभी भी नोटबंदी पर संसद में चर्चा नहीं होने दी और गैर निष्पादित परिसम्पत्ति पर भी चर्चा नहीं हुई जबकि पार्टी इसकी मांग करती रही है।
माकपा नेता ने कहा कि सरकार जिस तरह रिजर्व बैंक के साथ व्यवहार कर रही है, उसे देखते हुए लगता है कि एक दिन देश में श्री मोदी के हस्ताक्षर वाले नोट छपेंगे। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने 208 संगठनों की मदद से किसानों के लिए लागत से डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य अनिवार्य करने वास्ते एक विधेयक संसद के इस सत्र में लाना चाहती है और किसानों के लिए विशेष सत्र बुलाने की मांग करती है।
श्री सलीम ने यह भी आरोप लगा कि सरकार खुद संसद की कार्यवाही चलने नहीं देना चाह रही है और आज भी दूसरे दिन सदन की कार्यवाही स्थगित हो गयी और 70 साल में यह पहली बार हुआ है।
राज्यसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक के के रागेश ने कहा कि केरल में इतनी भीषण बाढ़ आयी लेकिन केंद्र सरकार ने विदेशों से मिलने वाली सहायता राशि को भी देश में नहीं आने दिया और राज्य के सांसदों ने मिलने के लिए समय माँगा तो मिलने का समय भी नहीं दिया। केंद्र ने अपने मानकों के हिसाब से चार हज़ार सात सौ छियानवे करोड़ रुपए की सहायता की जो घोषणा की उसका एक रूपया भी अभी तक जारी नहीं किया गया और संयुक्त अरब अमीरात ने सात हज़ार करोड़ रुपए की सहायता देने की पेशकश की तो उसे आने नहीं दिया गया। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के अनुसार 40 हज़ार करोड़ रुपये की सम्पत्ति का नुकसान बाढ़ में हुआ। केंद्र से और पांच हज़ार करोड़ रुपए की सहायता की मांग की गयी पर केंद्र ने यह मांग नहीं मानी।
-साभार, ईएनसी टाईम्स