लगता है पाक को आग से खेलने की हकीकत मालूम चल गई है। आतंकवादियों को पनाह देते देते पाकिस्तान अपना ही घर जला बैठा है। आतंकियों की पनाहगाह के तौर पर बदनाम हो चुके पाकिस्तान की आंख देर से खुली है। प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि यह उनके देश के हित में भी नहीं है कि उसकी जमीन का इस्तेमाल बाहर आतंकवाद फैलाने में हो। इस्लामाबाद में भारतीय पत्रकारों से बातचीत में इमरान ने कहा कि इतिहास से हमें सीखना चाहिए, उसमें रहना नहीं चाहिए। मुंबई हमले के गुनहगार हाफिज सईद के बारे में पूछे जाने पर पाक पीएम ने कहा कि उनकी सरकार को यह मसला विरासत में मिला है। उनका सीधे तौर पर निशाना पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ पर था। उन्होंने आगे कहा कि अतीत के लिए मुझे जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।
एक दिन पहले करतारपुर कॉरिडोर के शिलान्यास कार्यक्रम में इमरान खान ने भारत से संबंध बढ़ाने की बात की थी। हालांकि इस दौरान उन्होंने आतंकवाद पर चुप्पी साधे रखी और धार्मिक कार्यक्रम में कश्मीर का मुद्दा उठा दिया। इस पर भारत ने कड़ी आपत्ति भी दर्ज कराई। एक दिन बाद गुरुवार को उन्होंने भारतीय पत्रकारों से कहा कि पाकिस्तान के लोग भारत के साथ अमन चाहते हैं। यहां के लोगों की मानसिकता बदल चुकी है।
मोस्ट वांटेड आतंकी दाऊद इब्राहिम को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में इमरान ने कहा, ‘हम अतीत में नहीं रह सकते हैं। हमारे पास भी भारत में वांछित लोगों की लिस्ट है। दरअसल, दाऊद 1993 में मुंबई बम धमाकों का मास्टरमाइंड है और वह लगातार पाकिस्तान में रह रहा है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी आतंकियों की सूची जारी की थी जिसमें दाऊद भी शामिल था और उसका पता कराची का था।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि शांति के प्रयास एकतरफा नहीं हो सकते हैं। लेकिन ऐसे बयान पाकिस्तान के पुराने सत्तासीन भी देते रहे हैं । ऐसे में भारत को सतर्क रहने की जरुरत है। भारत ने वैसे भी पाकिस्तान के आमंत्रण ठुकरा दिया है। अब ऐसे में पाकिस्तान की नई सरकार यदि वास्तव में आतंक के खात्मे के प्रति ईमानदार है तो उसे भारत को उन आतंकवादियों को सौंप देना चाहिए, जिनकी लिस्ट भारत उसे कई सालों से देते रहा है और पाकिस्तान हर बार आनाकानी करता है।