आयुष मंत्रालय की संस्था सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंस (सीसीआरएएस) ने भांग (कैनबिस) से कैंसर की दवा तैयार की है। इसका पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा है और अब इस दवा का उपयोग एम्स में इलाज के लिए आने वाले कैंसर मरीजों पर होगा। इसके लिए एम्स और आयुष मंत्रालय में समझौता भी हुआ है। भांग से दूसरी बीमारियों के इलाज के लिए भी दवाएं बनाने पर काम चल रहा है। सीसीआरएएस के महासचिव डॉ. केएस धिमान ने बताया कि भांग से तैयार इस दवा को मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल अस्पताल में भर्ती मरीजों पर आजमाया गया है। अब मार्च माह से इस दवा का उपयोग एम्स में कैंसर का इलाज कराने आने वाले मरीजों पर होगा।

डॉ.धिमान ने बताया कि इसका उपयोग कैंसर के उन मरीजों पर किया जाता है जिनको कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी दी गई हो। थेरेपी के बाद मरीज को असहनीय दर्द, नींद न आना, भूख नहीं लगना, डायरिया और एंजायटी की समस्या रहती है। इस परिस्थितियों में ये दवा कारगर है।

आयुष मंत्रालय की ओर से तैयार दवा कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी के बाद ही उपयोगी है जबकि सीएसआईआर की ओर से तैयार की जा रही दवा का दायरा ज्यादा होगा। कैंसर के लिए टाटा मेमोरियल, मिर्गी के लिए दिल्ली एम्स और सिकल सेल के लिए रायपुर के अस्पताल का चयन किया गया है। भांग के पौधे पर रिसर्च कर दवा बनाने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से एक एकड़ भूमि पर भांग की खेती के लिए लाइसेंस दिया गया है।

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