असम में इस समय वैध और अवैध नागरिकता का दर्जा किसको दिया जाए और किसको नहीं। इसको लेकर घमासान मचा हुआ है। कई सालों से चले आ रहे इस विवाद में अब सरकार किसी फाइनल नतीजे पर पहुंची है और नए रजिस्टर जारी किया है जिसके अनुसार 40 लाख लोग अवैध नागरिक घोषित हो गए हैं। इसमें कई विधायक, पूर्व सैनिक, और अलग-अलग पार्टियों के नेता शामिल हैं। इस बाबत पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममत बनर्जी ने कहा है कि हर राज्य में बाहर से आये लोग रहते हैं. असम में संवाद की सभी सेवाएं बंद कर दी गई हैं। महिलाओं और बच्चों को जेल भेज दिया गया है। यह एक चुनवी राजनीति है। क्या इन लोगों को जबरदस्ती बाहर निकाला जायेगा।

ममता बनर्जी का कहना है कि सरकार की नीति बांटो और राज करो की है। बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि 1947 में जो लोग आये हैं वे भी भारतीय हैं। ममता ने कहा कि कई परिवार यहां पर 7 पुश्तें रहती हैं और सभी वैध दस्तावेज देने के बाद भी ऐसे लोगों लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने केंद्र पर सवाल उठाते हुये कहा है कि सरकार ने इन लोगों के लिये कोर्ट में आवाज क्यों नहीं उठाया है। बता दें कि असम में सोमवार को नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन जारी होना है। इससे पहले रविवार की शाम को सूबे में भय और अनिश्चितता की स्थिति नजर आई। केंद्र सरकार ने राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखने के लिए सशस्त्र बलों की 220 कंपनियों को तैनात किया है।

खबरों के मुताबिक,  यह पहला मौका है, जब सूबे में अवैध रूप से रहने वाले लोगों के बारे में जानकारी मिल सकेगी। देश में लागू नागरिकता कानून से थोड़ा अलग रूप में राज्य में असम अकॉर्ड, 1985 लागू है। इसके मुताबिक 24 मार्च, 1971 की आधी रात तक सूबे में प्रवेश करने वाले लोगों को भारतीय नागरिक माना जाएगा। इस मामले में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने नेशनल जिस्‍टर ऑफ सिटिजन पर कहा कि अगर किसी का नाम फाइनल ड्राफ्ट में नहीं भी है तो वह तुरंत ट्रिब्यूनल से संपर्क कर सकता है। किसी के खिलाफ कोई बलपूर्वक कार्रवाई नहीं की जाएगी, इसलिए परेशान होने की जरूरत नहीं है।

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