देश में मॉब लिंचिंग की घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त है. लेकिन केंद्र और राज्य सरकारें अब तक सीरियस नहीं हैं. कहीं गोरक्षा के नाम पर तो कहीं बच्चा चोरी के नाम पर मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ती ही जा रीह है. अलवर में दो दिन पहले गोरक्षा के नाम पर भीड़ ने रकबर खान की पीट-पीट कर हत्या कर दी.. इस हत्या के बाद पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं.. आखिर कब तक गोरक्षा के नाम पर खूनी खेल खेला जाएगा.
भीड़ कब तक बनती रहेगी भेड़िया. कब तक देश में उड़ाई जाएगी कानून की धज्जियां.. कब तक भीड़ अपने हाथ में कानून लेकर किसी की जिंदगी छीनती रहेगी.. कब तक जब एक गोरक्षा के नाम पर, बच्चा चोरी के नाम पर भीड़ का कानून चलेगा?. क्यों भीड़ को कानून हाथ में लेने की छूट दी जा रही है. ऐसे सुलगते सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है.. सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र और राज्य सरकारों से कई सवाल पूछे लेकिन जवाब किसी के पास नहीं है. मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ती जा रही है लेकिन जिनकी जिम्मेदारी इन घटनाओं को रोकने की है वो मौन हैं. कैसे इन घटनाओं को रोकेंगे इसका जवाब तो नहीं लेकिन ये जरूर बता रहे हैं कि मॉब लिंचिंग होती ही नहीं.यानि जो देश में हो रहा है इनके नजर में वो नहीं हो रहा.मॉब लिंचिंग को लेकर लगता है सरकार सीरियस नहीं है..सरकार के मंत्री जब कह रहे हैं मॉब लिंचिंग होता ही नहीं तो रोकने की कोशिश कैसे करेंगे..राजस्थान के अलवर में दो दिन पहले रकबर खान को गाय चोरी के आरोप में पीट पीट कर हत्या कर दी जाती है..लेकिन पुलिस इतनी लापवाह दिखी कि उसे रकबर की चिंता नहीं थी उसे पहले गाय को गौशाला पहुंचाने की चिंता थी. रकबर जिंदगी की भीख मांग रहा था, उसे अस्पताल में इलाज की जरूरत थी लेकिन पुलिस पहले औपचारिकता निभाने में लगी थी..थाने में बैठाए रखा क्योंकि उस पर गाय चोरी का आरोप था.. लेकिन पुलिस तब भी वर्दी का रौब दिखा रही थी.. रकबर चोर है या नहीं ये तो उसकी जिंदगी बचाने के बाद भी तय होता पहले उसे इलाज की जरुरत थी. आरोप है पुलिस ने अस्पताल ले जाने से पहले थाने में पिटाई की थी. अगर ऐसा है तो इस संवेदनहीन पुलिस पर कार्रवाई होनी चाहिए..
अलवर में मॉब लिंचिंग की घटना पर सरकार और प्रशासन पर उंगलियां उठ रही है.. संसद से लेकर सड़क तक संग्राम है.. कांग्रेस ने इसे मुद्दे पर सियासी महाभारत शुरू कर दी है.कांग्रेस ने सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार गोरक्षकों को प्रोत्साहन दे रही है. वहीं अलबर में मॉब लिंचिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान सरकार के खिलाफ अवमानना की याचिका दाखिल की गई है.
सुप्रीम कोर्ट के पहले ही मॉल लिंचिंग पर केंद्र और राज्य सरकारों को फटकार लगाते हुए लिंचिंग रोकने के लिए कड़े कानून बनाने को कहा है.. उसके बाद भी देश में लिंचिंग की घटनाएं बढ़ती जा रही है और सरकार लिंचिंग रोकने में नाकाम रही है.. आखिर गो रक्षा के नाम पर कब तक खून खेल खेला जाएगा. कब तक सरकारें मौन रहेगी.
—राजेश कुमार, एपीएन न्यूज