अमित शाह आज और कल बिहार-झारखंड दौरा पर हैं।  शाह का ये दौरा कई मायनों में अहम है।  इस दौरे में बिहार में लोकसभा की 40 और झारखंड की 14 सीटों को लेकर रणनीति पर  मुहर लगेगी।  झारखंड में बीजेपी की नजर खासतौर से आदिवासी वोटरों पर है, जो राज्य के कुल वोट का 26 प्रतिशत है और यही वजह है कि अमित शाह आदिवासियों के धर्म गुरुओं के साथ भी बैठक कर रहे हैं।

अमित शाह कार्यकर्ताओं के लिए  बूथ प्रबंधन के  टिप्स लेकर भी पहुंचे हैं।  पिछले साल बीजेपी ने  झारखंड में 43 लाख सदस्य बनाने का दावा किया था, लेकिन 2018 में यह संख्या घटकर मात्र  28 लाख रह गई है।  यानि  पिछली बार जो सदस्य दिखाए गए थे वह फर्जी थे।  ऐसे में अमित शाह की कोशिश है  कि वो सही सदस्य संख्या के आधार पर रणनीति तय करें।

झारखंड में सीएनटी-एसपीटी एक्ट को लेकर भी खूब बवाल मचा है और इसे लेकर आदिवासी बीजेपी का विरोध भी कर रहे हैं।  अमित शाह की कोशिश है कि सोशल मीडिया के जरिये बीजेपी इसका जवाब विपक्ष को दे, ताकि भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर विपक्ष के वार को कुंद किया जा सके।  इसके साथ ही मोदी सरकार की उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाना भी बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती है।

अमित शाह के इस दौरे से बीजेपी कार्यकर्ताओं में एक नया जोश देखने को मिल रह है, लेकिन संयुक्त विपक्ष से मुकाबला करना कोई आसान काम भी नहीं।  अमित शाह के दौरे में पन्ना प्रमुख, बूथ प्रमुख और बूथ कमेटियों को लेकर सभी संबंधित अधिकारियो की फीड बैक लेंगे।  अमित शाह के दौरे से यह लगने लगा है कि बीजेपी झारखंड को कठिन चुनौती मान रही है।

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