पाकिस्तान (Pakistan) में इन दिनों सरकार के खिलाफ आजादी मार्च निकाल रहे पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) की रैली में गोलियां चलाई गई हैं जिसके बाद उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया है. ज्ञात हो कि अगले साल पाकिस्तान में चुनाव होने वाले हैं.
इमरान खान जब से तोशाखाना मामले में दोषी पाए गए हैं, उनकी तरफ से आजादी मार्च की शुरुआत की गई है. इसी कड़ी में गुरुवार को भी उनकी आजादी मार्च निकाली गई थी. लेकिन इस बार वहां पर फायरिंग हुई जिसमें इमरान खान जख्मी बताए जा रहे हैं. उनके अलावा पूर्व राज्यपाल इमरान इस्मेल के साथ-साथ कम से कम एक सांसद भी इस गोलीबारी में घायल हुए हैं. वहीं Imran Khan को लाहौर के अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया है. उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है और डॉक्टरों की एक टीम उनका उपचार कर रही है.
पाकिस्तान में सेना ओर सत्ता
जनरल परवेज मुशर्रफ जो पाकिस्तान के अंतिम तानाशाह थे को सत्ता छोड़े हुए 14 साल से अधिक का समय हो चुका है. 2008 में मुशर्रफ के सत्ता छोड़ने के बाद वहां अभी तक कोई सैन्य जनरल ने सत्ता पर कब्जा नहीं किया है. मुशर्रफ की सत्ता से बेदखली के बाद से पाकिस्तान में अब तक तीन चुनाव हो चुके हैं, जिनमें सेना का प्रत्यक्ष दखल नहीं था. लेकिन सेना अपनी धमक बनाए हुए है लेकिन वो खुलकर कभी सामने नहीं आती.
1947 में आजाद हुए पाकिस्तान का पहला दशक काफी असमंजस स्थिति के साथ गुजरा था. मोहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान बनवाया लेकिन 11 सितंबर 1948 उनकी मृत्यु हो गई. जिन्ना की मौत के बाद पाकिस्तान के उस दौर के नेताओं के लिए देश का संविधान बनाना ही बहुत मुश्किल साबित हुआ.
पाकिस्तान में मुस्लिम लीग ने विभिन्न समुदायों से प्रधानमंत्री बनाए और आपसी मतभेदों को दूर करने की कोशिश की. इनमें दो बंगाली (सुहरावर्दी और बोगरा), एक गुजराती (चुंदरीगर) और दो पंजाबी (दोपहर और मुहम्मद अली) शामिल थे. लेकिन इस पूरे दौरान असली सत्ता शक्ति एक पश्तून, मलिक गुलाम मुहम्मद के पास थी. वह एक नौकरशाह थे जिन्होंने देश सेवा के नाम पर सरकारी नौकरी छोड़ दी थी.
वो पाकिस्तानी नेता जिनकी हो चुकी है हत्या
लियाकत अली खान
पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की 16 अक्टूबर 1951 को रावलपिंडी के कंपनी बाग में एक रैली को संबोधित करते हुए गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
लियाकत अली खान की हत्या एक रहस्य बन गई. लियाकत अली खान की हत्या ने कई मायनों में पाकिस्तान की राजनीति के रुख को बदलकर रख दिया. लियाकत अली की हत्या ने पाकिस्तान की राजनीतिक में शून्य भी पैदा कर दिया, जिसके चलते राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी और सैन्य और सिविल नौकरशाही ने इस राजनैतिक शून्य को भरने की पूरी कोशिश की जिसमें वो काफी हद तक कामयाब भी रहे.
लियाकत अली की हत्या की जांच के लिए बने जस्टिस मोहम्मद मुनीर आयोग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में माना था कि ‘लियाकत अली खान का हत्यारा अकेले उनकी हत्या नहीं कर सकता था. इसके पीछे कोई साजिश हो सकती है.’
हुसैन शहीद सुहरावर्दी जिनकी हुई रहस्यमय मौत
सितंबर 1956 से अक्टूबर 1957 तक पाकिस्तान के पांचवें प्रधान मंत्री रहे हुसैन शहीद सुहरावर्दी की दिसंबर 1963 में बेरूत के एक होटल में रहस्यमय तरीके से मौत हो गई थी. आधिकारिक तौर पर कहा गया था कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी, लेकिन राजनीतिक और सामाजिक हलकों में इसे लेकर ये बहस होती रही है कि उनकी मृत्यु स्वाभाविक नहीं थी, बल्कि यह भी एक हत्या थी. उनकी बेटी बेगम अख्तर सुलेमान भी अपने पिता की मौत को ‘हत्या’ मानती हैं.
भुट्टो को दी गई फांसी को बताया गया जाता है न्यायिक हत्या
पाकिस्तान के पूर्व पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो को 4 अप्रैल 1979 को फांसी दे दी गई थी, लेकिन ज्यादातर लोग आज भी उस फांसी को फांसी नहीं बल्कि हत्या मानते हैं, तब के अखबारों में इस बात को लेकर हंगामा मच गया था कि अगर भुट्टों को फांसी दी गई है तो उनके सह-आरोपियों को फांसी क्यों नहीं दी गई.’
इमरान खान भी पूर्व प्रधानमंत्री भुट्टो के हवाले से कह चुके हैं कि उनके खिलाफ साजिश रची गई थी. इमरान खान ने 27 मार्च 2022 को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के परेड ग्राउंड में एक रैली को संबोधित करते हुए एक पत्र लहराते हुए कहा था, ”आज वही साजिश रची जा रही है, जो भुट्टो के खिलाफ रची गई थी.”
बेनजीर भुट्टो
पाकिस्तान की पूर्व प्रधान मंत्री रही बेनजीर भुट्टो की 27 दिसंबर 2007 को रावलपिंडी में एक सभा के दौरान हत्या कर दी गई थी. साल 1997 के चुनावों के बाद अपना निर्वासन समाप्त होने के बाद, बेनजीर भुट्टो 18 अक्टूबर, 2007 को ही पाकिस्तान लौटी थीं. जिस मैदान (लियाकत अली बाग) में 16 अक्टूबर 1951 को पाकिस्तान के पहले प्रधान मंत्री लियाकत अली की हत्या हुई थी, बेनजीर भुट्टो की भी हत्या इसी पार्क में हुई थी.