लगातार पद छोड़ने की अटकलों के बीच ब्रितानी प्रधान मंत्री लिज ट्रस (Liz Truss) ने अपने पद को छोड़ने से इंकार कर दिया है. लिज ट्रस ने 6 सितंबर 2022 को यूके के प्रधान मंत्री पद की शपथ ली थी इस लिहाज से देखा जाए तो उन्हें प्रधान मंत्री बने हुए एक महीने से कुछ ज्यादा ही हुआ है. ब्रिटेन के तमाम अखबार उनके अब तक के कार्यकाल में जो फैसले लिए गए हैं उनको वो समझदारी वाले नजर नहीं मान रहे हैं.
हालांकि ब्रिटेन की सत्ता में जारी उहापोह के बीच प्रधान मंत्री लिज ट्रस (Liz Truss) ने आज 19 अक्टूबर को कहा कि उनसे गलती हुई और उस गलती को मानती हैं लेकिन वो प्रधान मंत्री पद को नहीं छोड़ेंगी. उनके इस बयान के बाद भारतीय मूल के ऋषि सुनक की उम्मीदों को भी झटका लगा है.
वो फैसलें जिनका हो रहा है विरोध
लिज ट्रस द्वारा पेश किए गए मिनी बजट को लेकर विशेषज्ञ कहते हैं कि इसने बाजार को तबाह कर दिया. ब्रिटिश पाउंड धड़ाम से जमीन पर आ गिरा. अमीर तबके के लिए वो टैक्स कट का वादा कर रही थीं जो अर्थव्यवस्था को और बुरे हालात में पहुंचा देगा.
लिज पर पद के संभालते ही एंटी ग्रोथ को समर्थन के आरोप लग रहे हैं. उनके विरोधी दल के नेता उन पर आरोप लगा रहे हैं कि वो टैक्स कम करके अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना चाहती हैं. वो इसको पूरा करने में असमर्थ रही हैं.
23 सितंबर को संसद में पेश किए गए मिनी बजट में ट्रस ने टैक्स बढ़ोतरी और महंगाई पर रोक लगाने वाले कुछ कदम उठाए थे लेकिन इसके तुरंत बाद ही उन्होंने इन फैसलों को वापस भी ले लिया.
लिज ट्रस ने जब सत्ता संभाली थी तो कमर तोड़ती महंगाई से त्रस्त जनता को उनसे बहुत उम्मीदें थीं. इस समय पूरा यरोप कमरतोड़ महंगाई से जूझ रहा है, आज जारी हुए डेटा के अनुसार ब्रिटेन में 10.1 फिसदी महंगाई दर है जो पिछले 40 वर्षों में सबसे ज्यादा है.
लिज ट्रस को सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाने वाला एक प्रमुख चुनावी वादा टैक्स में कटौती करना था. लिज ट्रस ने सत्ता हासिल करने के बाद टैक्स में कटौती तो की लेकिन 2 अक्टूबर 2022 को अपने इस चुनावी वादे से मुकर गईं. उन्होंने कॉरपोरेट टैक्स में कटौती के फैसले को भी वापस ले लिया. लिज ट्रस के इस फैसले से पार्टी के अंदर ही बगावत के सुर सुनाई दे रहे हैं.
ट्रस के साथ समस्या ये है कि वो बहुत सारे वादे करके सत्ता में आईं थीं, लेकिन अब जब बारी उन्हें पूरा करने की आई तो मामला उल्टा पड़ता जा रहा है. हालात यहे तक के हो गए है कि खुद उनके सांसद ट्रस का विरोध कर रहे हैं और ब्रिटेन के टीवी नेटवर्क BBC को दिए इंटरव्यू में प्रधान मंत्री ने माफी मांगी हैं.
शुक्रवार 14 अक्टूबर 2022 को लिज ने अपने दोस्त, चांसलर और वित्त मंत्री क्वासी वारटेंग को कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया. इसके बाद जेरेमी हंट को नया वित्त मंत्री बनाये गए हैं. हंट को अपनी मर्जी का मालिक कहा जाता हैं और वो अपने वित्त मंत्री के कार्यकाल में भी कुछ खास नहीं कर पाए थे.
पार्टी को भी नुकसान
ब्रिटेन में हुए हालिया पोल्स और अप्रूवल रेटिंग को देखे तो लिज ट्रस की कंजर्वेटिव पार्टी पर विपक्षी लेबर पार्टी 33 पॉइंट्स की बढ़त बनाए हुए है. इसके अलावा खुद प्रधान मंत्री की अप्रूवल रेटिंग में भी 47 पॉइंट्स ती तमी देखी गई है.
अविश्वास प्रस्ताव की भी चर्चा
एक के बाद एक फैसलों को मिल रही चूनौती से माना जा रहा है कि ट्रस के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव तैयार हो चुका है. कंजर्वेटिव पार्टी के कई सांसद फिर से प्रधान मंत्री को बदलने की बात करने लगे हैं. हालांकि, एक साल के कार्यकाल से पहले प्रधान मंत्री को बदलना भी इतना आसान नहीं है इसके लिए कंजर्वेटिव पार्टी की रूल बुक में बदलाव करना होगा इसके बाद ही यह मुमकिन हो पायेगा. लेकिन ट्रस के साथ ये भी हो सकता है कि उनके पास प्रधान मंत्री की ताकत न रहे. बोरिस जॉनसन को हटाने के वक्त भी ऐसा ही कुछ हुआ था.
बोरिस जॉनसन की पहली पसंद थी ट्रस
बोरिस जॉनसन ने जब पद पीएम का पद छोड़ा तो लिज ट्रस का समर्थन किया था. वो जानते थे कि भारतीय मूल के ऋषि सुनक मजबूत और काबिल दावेदार हैं. जॉनसन शायद कमजोर प्रधान मंत्री बनाकर अपनी वापसी का रास्ता पुख्ता करना चाहते थे, लेकिन इससे ब्रिटेन को फायदे के बजाय ज्यादा नुकसान हुआ. यूरोपीय यूनियन छोड़ने का फैसला भी गलत साबित हुआ. कंजर्वेटीव पार्टी को 2019 में 14 मिलियन वोट इसी वादे के साथ मिले थे की वो ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन को अच्छे से चला पाएंगे. लेकिन सिर्फ 6 साल में ब्रिटेन ने चार प्रधान मंत्री देख लिए.
बोरिस जॉनसन सरकार में भारतीय मूल के ऋषि सुनक फाइनेंस मिनिस्टर थे. उनके इस्तीफे के बाद ही जॉनसन की कुर्सी पर खतरा मंडराने लगा था.
12 साल सत्ता में कंजर्वेटिव पार्टी
कंजर्वेटिव पार्टी 12 साल से सत्ता में है. इस दौर में ब्रेक्जिट, महामारी और लोगों में बंटवारे जैसी मुश्किलें सामने आईं. कुछ फैसले ऐसे हुए जो लोगों की भावनाओं के खिलाफ थे. जॉनसन इसके जिम्मेदार थे और जाते-जाते लिज को थोप गए. मजबूत इकोनॉमी अब बहुत कमजोर हो चुकी है. इंटरनेशनल लेवल पर भी फैसलों की आलोचना हुई.