ना कोई किसी का रकीब होता है ना कोई किसी का हबीब होता है, खुदा की रेहमत से बन जाते है रिश्ते जहां जिसका नसीब होता है… मुलायम सिंह और अमर सिंह की दोस्ती, दुश्मनी और तकरार की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। यूपी के सियासत के इन दिग्गजों की कहानी सियासी गलियारों में गूंजने के साथ-साथ मीडिया की सुर्खियों में भी रहा है। अमर सिंह और मुलायम सिंह की दोस्ती की शुरूआत आज से ठीक 26 साल पहले हुई थी। मुलायम सिंह यादव उस समय देश के रक्षामंत्री थे।
बड़े उद्योगपति के रूप में पहचाने जाने वाले अमर सिंह 1996 में हवाई सफर कर रहे थे। संयोग से उसी फ्लाइट में मुलायम सिंह यादव भी सवार हो गए। यात्रा के दौरान दोनों की मुलाकात हुई और तब से दोस्ती का सिलसिला चल पड़ा…। मुलायम के रक्षामंत्री रहते अमर सिंह उनके इतने खास बन गए थे कि उन्हें समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद पर बैठा दिया गया। राजनीति जानने वाले लोग कहतें है कि साल 2000 के आसपास अमर सिंह का समाजवादी पार्टी में दखल बढ़ा और टिकटों के बंटवारे से लेकर पार्टी के कई बड़े फैसलों में उन्होंने मुलायम के साथ प्रमुख भूमिका निभाई।
अमर सिंह ने निभाई यारी
हालांकि, मुलायम सिंह यादव तब राष्ट्रीय राजनीति में पैर जमाने की सोच रहे थे। उन्हें अमर सिंह मिले, जिन्होंने स्वेच्छा से सत्ता के गलियारों में उनकी मदद की। यह अमर सिंह के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था जिन्होंने मुलायम की मदद करने और उनका विश्वास हासिल करने के लिए अपने संबंधों का इस्तेमाल किया।
बेनी प्रसाद वर्मा, मोहन सिंह और राम गोपाल यादव सहित समाजवादी पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं के विरोध के बावजूद, अमर सिंह मुलायम के करीबी बने रहने में कामयाब रहे। एक समय सिंह को मुलायम के बेटे अखिलेश का भी करीबी माना जाता था। लेकिन वे अलग हो गए। जब 2003 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी सत्ता में आई तो अमर सिंह ने उद्योगपतियों और फिल्मी हस्तियों के साथ यूपी सरकार की विभिन्न बैठकें आयोजित कीं।
अमर सिंह के सपा में आने से क्या हुआ?
कहा जाता है कि समाजवादी सोच में बॉलीवड का तड़का लगाने में अमर सिंह ने कोई कसर नहीं छोड़ी। अमर सिंह की सपा में एंट्री के बाद एक-एक करके बड़ी हस्तियां सपा के साथ जुड़ीं। अमिताभ बच्चन, संजय दत्त, जया बच्चन, जया प्रदा, समेत कई हस्तियां सपा के साथ जुड़ीं। यहां तक कि जया बच्चन आज भी सपा के कोटे से राज्यसभा की सदस्य हैं। वह लगातार चौथी बार सपा के कोटे से 2018 में राज्यसभा की सदस्य बनीं हैं। ऐसा कहा जाता है कि जब मुलायम सिंह राज्य के मुख्यमंत्री थे तो अमर सिंह ने 2005 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की लखनऊ यात्रा का आयोजन किया था।
जब मुलायम सिंह यादव और अमर सिंह में हुआ था तकरार
सपा के पुराने नेताओं के दबाव और मुलायम सिंह से बढ़ते मतभेदों के बीच अमर सिंह ने पार्टी के विभिन्न पदों से इस्तीफा दे दिया। बाद में उन्हें 2010 में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया, जिससे उनका सपा नेता के साथ लगभग दो दशक लंबे संबंध समाप्त हो गए। 2011 में, अमर सिंह ने अपना राष्ट्रीय लोक मंच बनाया और 2012 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया। अभिनेता जयाप्रदा, जो अपनी राजनीतिक लड़ाई में सिंह के साथ खड़ी थीं। वो भी सिंह की पार्टी से चुनाव लड़ रही थी। हालांकि, उनकी पार्टी के सभी उम्मीदवार हार गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में,अमर सिंह ने फतेहपुर सीकरी से अजीत सिंह के राष्ट्रीय लोक दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और हार गए।
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