प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चीन का दौरा खत्म हो चुका है। पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच दो दिन में चार दौर की बातचीत हुई। दोनों नेताओं के बीच इस अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय संबंध को सुधारने और संबंधों में कड़वाहट भरने वाले विवादित मुद्दों के समाधान पर बातचीत हुई…विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच हुई मुलाकातों से सकारात्मक बातें निकलकर आई हैं। विदेश मंत्रालय के मुताबिक दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण रिश्तों पर जोर दिया गया। आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करने पर दोनों देश सहमत दिखे। दोनों नेताओं के बीच व्यापार, संस्कृति, खेल को बढ़ावा देने पर भी चर्चा हुई। दोनों देशों ने अफगानिस्तान में शांति कायम करने और आर्थिक मोर्चे पर मिलकर काम करने पर भी सहमति जताई ताकि वहां से आतंकवाद को जड़ से खत्म किया जा सके।
इससे पहले वुहान शहर में एक कार्यक्रम में पहुंचे पीएम मोदी का बालीवुड के एक खास गीत की धुन बजाकर स्वागत किया गया। 1982 में रिलीज हुई फिल्म ‘ये वादा रहा’ का ये गीत था ‘तू है वही दिल ने जिसे अपना कहा’ । पीएम मोदी धुन सुनकर खुद को रोक नही पाए….जैसै ही गाना खत्म हुआ…..मोदी ने तालियां बजाई….इस दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी मौजूद थे।
चीन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस तरह दिल को छूने वाला स्वागत कुछ अटपटा जरूर लगता है। अभी कुछ दिन पहले की ही तो बात थी जब डोकलाम मुद्दे पर चीन का सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स आए दिन भारत से युद्ध की धमकी दे रहा था। चीन की सीमा से लगे अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड में चीन के सैनिक कई बार घुस आते हैं। लेकिन अब चीन के इस बदले हुए रुख को देखकर कई सवाल जरूर उठ खड़े हो रहें हैं….क्या चीन एनएसजी में भारत की सदस्यता पर अपना विरोध खत्म कर देगा…क्या चीन पाकिस्तानी आतंकी अजहर मसूद को अतंर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के खिलाफ संयुक्ति राष्ट्र में वीटो का प्रयोग नहीं करेगा। विदेशी मामलों के जानकार मानते हैं कि चीन अपने महत्वाकाक्षी वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट पर भारत का समर्थन चाहता है…..अभी तक भारत के विरोध के चलते कई यूरोपीय देशों और अमेरिका ने भी इस प्रोजेक्ट को लेकर उदासीनता दिखायी है…..साथ ही भारत-अमेरिका-जापान-ऑस्ट्रेलिया गठजोड़ से भी चीन खुद को असहज महसूस कर रहा था….ऐसे में उसने भारत की तरफ दोस्ता का हाथ बढ़ाया है….लेकिन क्या चीन एक भरोसेमंद दोस्त साबित हो सकता है…ये बड़ा सवाल है….अभी दो दिन पहले ही एक कार्यक्रम में पहुंचे वायुसेना प्रमुख बीएस धनोवा ने कहा कि चीन तिब्बत के इलाके में लगातार अपनी हवाई ताकत को मजबूत बनाने में जुटा है…. हालांकि, वायुसेना अध्यक्ष ने ये भी कहा कि, भारत किसी भी चुनौती से निपटने में सक्षम है। ये बयान साफ दर्शाता है कि चीन को लेकर भारत भी फूंक-फूंक कर कदम रखेगा क्योंकि इससे पहले 1962 में चीन पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की पीठ में छुरा घोंप चुका है जो उस वक्त पंचशील की नीति पर चल रहे थे और हिंदी-चीनी भाई-भाई का नारा दे रहे थे।
—एपीएन ब्यूरो