‘महादेवी वर्मा’ हिंदी साहित्य जगत में एक ऐसा नाम जिनकी रचनाओं की गूंज युगों-युगों तक गूंजेगी। आज का दिन सिर्फ महान कवयित्री महादेवी वर्मा के लिए ही खास नहीं था बल्कि यह दिन हम लोगों के लिए भी उतना ही खास है क्योंकि आज ही के दिन पूरी दुनिया उनकी रचनाओं से अवगत हो सकी थी। आज ही के दिन महादेवी वर्मा को सन् 1982 में ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा गया था। उन्हें यह पुरस्कार अपने काव्य संकलन ‘यामा’ के लिए मिला था। इसी उपलक्ष्य में आज गूगल ने उन्हें याद किया है। उनके लिए गूगल ने डूडल बनाया है। इस डूडल में महान कवयित्री को हाथों में डायरी और कलम लिए अपने विचारों में खोया हुआ दिखाया गया है। महादेवी वर्मा को ‘मॉडर्न मीरा’ भी कहा जाता है।
‘आधुनिक मीरा’ महादेवी वर्मा ने कई रचनाएं की। जिनमें ‘स्मृति की रेखाएं’, ‘मेरा परिवार’, ‘शृंखला की कड़ियां’, ‘पथ के साथी’ और ‘अतीत’ के चलचित्र’ काफी प्रमुख हैं। बता दें कि छायावादी कविता युग के चार स्तंभों (जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा) में उनका नाम भी शामिल रहा है। उत्तरप्रदेश के फर्रूखाबाद में 26 मार्च, 1907 को जन्मी इस कवयित्री का नाम महादेवी इसलिए रखा गया था क्योंकि उनके परिवार में कई पीढ़ियों के बाद लड़की का जन्म हुआ था इसलिए ये नाम उन्हें बड़े चाव से दिया गया।
महादेवी प्रकृति के बेहद करीब रहीं और इनकी कविताओं में इसकी झलक साफ दिखती है। सात साल की उम्र से लिखना शुरू कर दिया और स्कूल खत्म होते न होते इनका नाम साहित्यिक जगत में जाना जाने लगा था। उस समय के चलन के अनुसार 9 बरस में ही महादेवी की शादी कर दी गई। हालांकि पढ़ाई के लिए वे पति से अलग इलाहाबाद में रहती रहीं। महादेवी की कविताओं में प्रेम और करुणा के अलावा एक और चीज जो देखने को मिलती है, वो है स्त्री मुक्ति की उनकी पुकार। जब वह संस्कृत में एम.ए. कर रही थीं, उसी दौर में उन्होंने अपनी पहली कविता संस्कृत में लिखी थी।