Pitra Paksha के दौरान किस तिथि को है कौन सा श्राद्ध, अकाल मृत्‍यु के शिकार लोगों का कब करें तपर्ण? जानिए यहां

Pitra Paksha: श्राद्ध किसी भी रूप में किया जा सकता है। मसलन तर्पण, दान, भोजन, भावांजलि, तिलांजलि के रूप में।इस दौरान हमें कुछ नियमों का पालन करना चाहिए, जोकि बेहद जरूरी होते हैं।

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Pitra Paksha: jaaniye sab khuch
Pitra Paksha

Pitra Paksha: इसे श्राद्ध कहें, पितर पूजा, पितृ पक्ष या कनागत। ये महज 16 दिन नहीं बल्कि विशेष दिन माने जाते हैं, जब हम अपने पितरों अथवा पूर्वजों को याद करते हैं। उनके निमित्‍त तर्पण करते हैं।10 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो चुके हैं।हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष बाकि सारी तिथियां तो यथावत हैं, लेकिन तृतीया और चतुर्थी तिथि का श्राद्ध एक दिन यानी 13 सितंबर 22 को होगा।इस बार पितृ पक्ष 25 सितंबर तक रहेंगे।हिंदू शास्‍त्रों के अनुसार किसी भी व्‍यक्ति के निधन के बाद एक वर्ष का समय प्रतीक्षाकाल के रूप में माना जाता है। इस दौरान बरसी तक श्राद्ध कर्म नहीं होते।

Pitra Paksha: tarpan to crow
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Pitra Paksha: पितृ आते हैं घर के द्वार

ऐसी मान्‍यता है कि पितृ पक्ष के दौरान हमारे पितर हमारे घर के द्वार पर आते हैं। ऐसे में हमें उनके प्रति आदर-भाव दिखाना चाहिए। उनसे आशीर्वाद और कृपा प्राप्ति की प्रार्थना करनी चाहिए। कहा जाता है कि इन 16 दिनों में पितर धरती पर भ्रमण करते हैं। ऐसे में हमें उनका सम्‍मान करना चाहिए, जोकि बेहद जरूरी माना जाता है।

Pitra Paksha: ज्ञात-अज्ञात के नाम का श्राद्ध कर्म अनिवार्य

शास्‍त्रों के अनुसार पितृ कर्म तीन पीढ़ियों का माना जाता है।इसमें मातृकुल या पितृकुल दोनों ही शामिल होते हैं। तीन पीढ़ियों से अधिक श्राद्धकर्म नहीं होता है।लेकिन ज्ञात-अज्ञात के नाम का श्राद्ध कर्म करना भी बेहद जरूरी होता है।ऐसा माना जाता है कि उनकी आत्‍मा की शांति होती है और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।ज्ञात-अज्ञात के नाम का श्राद्ध के लिए चतुर्दशी तिथि निर्धारित की गई है। अगर भूलवश उनका श्राद्ध छूट जाए तो आप अंतिम दिन यानी अमावस के दिन भी श्राद्ध कर सकते हैं।

Pitra Paksha: जानिए श्राद्ध कर्म करने की विधियां

श्राद्ध किसी भी रूप में किया जा सकता है। मसलन तर्पण, दान, भोजन, भावांजलि, तिलांजलि के रूप में।इस दौरान हमें कुछ नियमों का पालन करना चाहिए, जोकि बेहद जरूरी होते हैं। तैसे पितरों के निमित्‍त भोजन निकालने से पूर्व गाय, कौआ, कुत्‍ते का अंश अवश्‍य निकालें। तीनों ही यम के प्रतीक माने जाते हैं। यदि किसी विस्‍तृत रूप से श्राद्ध नहीं कर पाए तो दान जरूर करें।हिंदू शास्‍त्रों के अनुसार श्राद्ध कर्म कोई भी कर सकता है। इसमें धेवता, पोता, पुत्र, प्रपौत्र एवं दामाद सभी को ये अधिकार दिया गया है। हालांकि महिलाएं भी श्राद्ध कर सकतीं हैं।

Pitra Paksha: 25 सितंबर को होगा विसर्जन

जानकारी के अनुसार पितृ पक्ष 10 सितंबर 22 से शुरू हो चुके हैं और ये आगामी 25 सितंबर 22 को पितृ विसर्जन के साथ ही पूरे हो जाएंगे। उस दिन अमावस्‍या होगी।

Pitra Paksha: जानिए श्राद्ध से जुड़ी महत्‍वपूर्ण तिथियां

पूर्णिमा 10 सितंबर
प्रतिप्रदा 11 सितंबर
द्वितीया 12 सितंबर
तृतीया चतुर्थी 13 सितंबर
पंचमी 14 सितंबर
षष्‍ठी 15 16 सितंबर
सप्‍तमी 17 सितंबर
अष्‍टमी 18 सितंबर
नवमी 19 सितंबर
दशमी 20 सितंबर
एकादशी 21 सितंबर
द्वादशी 22 सितंबर
त्रयोदशी 23 सितंबर
चतुर्दशी 24 सितंबर
अमावस्‍या 25 सितंबर

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