प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के मास्टर ऑफ रोस्टर को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। मामले की सुनवाई 27 अप्रैल को होगी। याचिका में CJI के एकाधिकार को चुनौती देते हुए मांग की गई है कि 5 सीनियर मोस्ट जजों को मिलकर ये तय करना चाहिए कि किस मामले की सुनवाई कौन जज या बेंच करेगी।

इस मामले में अटॉर्नी जनरल और ASG तुषार मेहता कोर्ट की मदद करेंगे। शुक्रवार (13 अप्रैल) को सुनवाई के दौरान जस्टिस ए के सीकरी ने कहा की ये संभव नहीं कि सभी महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई वरिष्ठ जज कर पाएं, लाखों मामले हैं। इसमे महत्वपूर्ण केसों का चुनाव आखिर कैसे होगा जिनकी सुनवाई सीनियर जजेस करे। आगे जस्टिस सीकरी ने कहा कि प्रथम दृष्टया हमें ये लगता है कि इन हाउस प्रक्रिया को दुरुस्त कर इसका हल हो सकता है न्यायिक तरीके से नहीं। यहां सवाल ये है कि चीफ जस्टिस केसों के आवंटन में कॉलेजियम है या नहीं सुप्रीम कोर्ट को ये तय करना है कि केसों का आवटन कैसे हो।

सुनवाई के दौरान जस्टिस सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में पहले ही तय कर चुका है कि मुख्य न्यायाधीश रोस्टर का मालिक है और हर मामले के लिए पांच सीनियर जजों का बैठकर तय करना संभव नहीं है कि मामला कौन बेंच सुनेगी। इस पर याचिकाकर्ता की पैरवी कर रहे एडवोकेट दुष्यंत दवे ने कहा कि सब मामलों में नहीं कुछ संवेदनशील मामलों में ऐसा किया जा सकता है।

याचिकाकर्ता के वकील की तरफ से कहा गया कि CJI मास्टर ऑफ रोस्टर होता है लेकिन ऐसे 14 मामलों का जिक्र किया गया है। जिसको देखने से लगता है कि इन मामलों में पावर का गलत इस्तेमाल किया गया है। इस पर जस्टिस सीकरी ने सवाल किया कि आप का सवाल तो मामलों की सुनवाई के लिए केसों के आवंटन को लेकर है? याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि जजों का काम सिर्फ न्याय देना नहीं बल्कि लोकतंत्र और संविधान की सुरक्षा और कानून के शासन को बरकरार रखना है।

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