2019 लोकसभा चुनाव में अब महज साल भर का समय बचा है….ऐसे में चुनावी बिसात पर तरह-तरह के मोहरे चले जा रहें हैं…..और इनमें से एक है दलितों के नाम पर राजनीति….एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विपक्ष जहां मोदी सरकार पर निशाना साध रहा है तो वहीं सत्ता के संग्राम के लिए बीजेपी ने भी कमर कस ली है…विपक्ष ने दलित मुद्दे के तीर को धार देकर अपने तरकश में भरा है तो सत्ता पक्ष भी अब राम नाम के सुर को धीमा कर दलित राग अलापने लगा है….हालांकि एक के बाद एक बीजेपी के कई दलित सांसद अपनी ही पार्टी पर निशाना साध रहें हैं जिससे बीजेपी की मुश्किलें बढ़ गयीं हैं।
पहले यूपी के बहराईच से बीजेपी सांसद सावित्री बाई फूले ने रैली करके बागी तेवरों का इजहार किया। फिर राबर्टसगंज के सांसद छोटेलाल खरवार के तेवरों ने बीजेपी रणनीतिकारों को मुश्किल में डाल दिया। इसके फौरन बाद इटावा से बीजेपी सांसद अशोक दोहरे ने पीएम मोदी को लेटर लिखकर दलित समुदाय के लोगों पर अत्याचार और उन पर लिखे जा रहे झूठे मुकदमों की बात उठाकर नाराजगी जतायी और अब एक और बीजेपी के दलित सांसद ने प्रधानमंत्री पर हमला बोला है…
उत्तर प्रदेश के नगीना से सांसद डॉ.यशवंत सिंह ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर कहा है कि आपके राज में दलितों के लिए एक भी काम नहीं हुआ है… उन्होंने कहा कि… सरकार ने प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण और न्याय व्यवस्था में दलितों की संख्या बढ़ाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया…यशवंत सिंह ने प्रमोशन में आरक्षण पर लिखा है कि, ”जब मैं चुनकर आया था उसी समय मैंने स्वयं आपसे मिलकर प्रमोशन में आरक्षण का बिल पास कराने का आग्रह किया था. समाज के विभिन्न संगठन दिन-रात हम लोगों से इस प्रकार का अनुरोध करते हैं. लेकिन चार साल बीत जाने के बाद भी इस देश के लगभग 30 करोड़ दलितों के प्रत्यक्ष हित हेतु… आपकी सरकार ने एक भी कार्य नहीं किया .
इस बीच फिर से गरमाए दलित मुद्दों को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने सभी मंत्रियों और पार्टी सांसदों को निर्देश दिया है कि ऐसे गावों में दो रात बिताएं जहां दलितों की संख्या 50 फीसद से अधिक है। देश में ऐसे गावों की संख्या बीस हजार आठ सौ चवालिस है।
यूं तो हर संसदीय सत्र के बाद बीजेपी सांसदों को शीर्ष नेतृत्व की ओर से जनता के बीच जाने की अपील की जाती रही है। लेकिन इसके क्रियान्वयन में कमी रहती है। इस बार यह ज्यादा अहम है क्योंकि दलित मुद्दा गर्म है और सबसे ज्यादा दलित सांसद बीजेपी के ही खाते से हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए पार्टी कॉडर को ज्योतिबा फुले और अंबेडकर जयंती भी जोर-शोर से मनाने का स्पष्ट निर्देश दिया गया है।
आंकड़ों के मुताबिक, देश की कुल जनसंख्या में 20.14 करोड़ दलित आबादी है.. 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अनुसूचित जातियां अधिसूचित हैं.. 1 हजार 241 जातीय समूहों को अनुसूचित जाति के रूप में अधिसूचित किया गया है.. देश की कुल 543 लोकसभा सीटों में से 80 सीटें.. अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षित हैं.. उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में.. दलित मतदाताओं की काफी अहम भूमिका रहती है.. दलितों की इस सियासी ताकत को देखते हुए देश की सियासी पार्टियां उन्हें अपनी तरफ खींचने की कोशिश करती रहती हैं..
बीजेपी को 2014 के लोकसभा चुनाव में मिली कामयाबी में दलितों की अहम भूमिका रही है.. लिहाजा, दलित आंदोलन को लेकर सबसे ज्यादा पसोपेश में बीजेपी ही है.. उसे लग रहा है कि कही दलितों की नाराजगी उसके खिलाफ ना चली जाए..
-ब्यूरो रिपोर्ट एपीएन