आज का गूगल-डूडल आनंदी गोपाल जोशी को समर्पित है। आनंदी को पहली महिला डॉक्टर के रूप में जाना जाता है। आज तो आपको हजारों महिला डॉक्टर मिल जाएगी लेकिन एक समय ऐसा भी था, जब सिर्फ पुरुष डॉक्टरों का बोलबाला था। पहली महिला डॉक्टर के रूप में पहचानी जाने वाली आनंदी गोपाल जोशी का जन्म 31 मार्च 1865 में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उस समय औरतों का जीवन कितना संघर्षपूर्ण हुआ करता था, इस बात का अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि आनंदी जोशी की शादी महज 9 साल की उम्र में अपने से 20 साल बड़े आदमी से कर दी गई थी। लेकिन आनंदी अपनी ज़िन्दगी की सभी परेशानियों से जूंझते हुए भारत की पहली महिला डॉक्टर बनीं, जिन्होंने अमेरिका से क्वालीफाई किया। आज उनके 153वें जन्मदिन पर गूगल ने डूडल बनाकर आनंदी को श्रद्वांजलि अर्पित की है।
पति ने बढ़ाया हौसला
आनंदी का जब जन्म हुआ तब उनका नाम यमुना था, जिसे शादी के बाद बदल कर आनंदी कर दिया गया। 9 साल की उम्र में आनंदी की शादी गोपालराव जोशी नामक आदमी से कर दी गई, जो विदुर था। 14 साल की उम्र में आनंदी ने एक बेटे को जन्म दिया लेकिन बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में उनके बेटे की जान नहीं बच सकी। बेटे की मौत ने आनंदी को अंदर तक जंझोर कर रख दिया, जिसके बाद आनंदी ने डॉक्टर बनने की ठानी। आनंदी के इस फैसले में उनके पति ने एक सच्चे जीवन साथी की तरह बखूबी उनका साथ निभाया।
उनके पति गोपाल का यह फैसला काफी साहसिक था, क्योंकि उस दौर में महिलाओं की शिक्षा तो दूर उनके स्वास्थ्य तक को तवज्जो नहीं दी जाती थी। ऐसे में उनके पति ने उन्हें डॉक्टर बनने के लिए प्रेरित किया।
अमेरिका से की मेडिकल डिग्री
परिवार द्वारा पुरजोर विरोध के बाद भी आनंदी ने हार नहीं मानी और आनंदी ने अमेरिका की पेन्सिलवेनिया मेडिकल यूनिवर्सिटी से 1886 में मेडिकल की डिग्री हासिल की। इसके अलावा आनंदी तीन भाषाओं में निपुण थी। आनंदी मराठी, संस्कृत और अंग्रेजी अच्छे से पढ़ना और लिखना जानती थी। ये तीनों भाषाएं उनके पति ने उन्हें सिखाई।
नहीं ले पाई डिग्री का सुख
14 की उम्र में मातृत्व सुख से वंचित रहने वाली आनंदी डॉक्टर बनने के सुख से भी वंचित रह गई। 1886 में मेडिकल की डिग्री हासिल कर देश की पहली महिला डॉक्टर बनने वाली आनंदी का वर्ष 1887 में निधन हो गया। 22 साल की होने से एक महीने पहले ही आनंदी टीबी के चलते दुनिया को अलविदा कह गईं।