उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता वाली कैबिनेट बैठक ने साल 2018-19 से 2021-22 के लिए नई स्थानांतरण नीति को मंजूरी दे दी है। बता दें कि स्थानांतरण की कार्रवाई 1 अप्रैल से शुरू की जाएगी और 31 मई तक पूरी कर ली जाएगी। जिलों में तीन और मंडलों में सात साल पूरा करने वाले अधिकारी हटाए जाएंगे।
दरअसल, प्रदेश में लंबे समय से एक-एक वर्ष के लिए स्थानांतरण नीति जारी की जाती रही है। योगी सरकार ने अफसरों की तैनाती में स्थायित्व पर जोर देते हुए एक साथ तीन वर्ष की तबादला नीति जारी की है। हर साल इसी नीति के तहत तबादले किए जाएंगे। नीति में समूह क व ख के अधिकारियों के ट्रांसफर के प्रावधान किए गए हैं।
मंडलीय व विभागाध्यक्ष कार्यालयों में की गई तैनाती को मंडल में निर्धारित 7 साल की अवधि में नहीं किया जाएगा। स्थानांतरण अवधि में समूह ‘ख’ के अधिकारियों के तबादले विभागाध्यक्ष करेंगे।
बता दें कि सरकार ने स्थानांतरण की कट ऑफ डेट हर साल की 31 मार्च तय की है। नीति के दायरे में 20 प्रतिशत की सीमा तक तबादले किए जाएंगे। कैबिनेट ने स्थानांतरण नीति में किसी तरह संशोधन के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत कर दिया है।
समूह ‘क’ व ‘ख’ के कार्मिकों को उनके गृह जिले को छोड़ते हुए, इच्छित जिलों में तैनाती की जा सकेगी। समूह ‘ग’ व ‘घ’ के स्थानांतरण प्रदेश स्तरीय संवर्ग होने पर किसी अन्य मंडल व जिले में तथा मंडल स्तरीय संवर्ग होने पर मंडल के अंदर किसी अन्य जिले में किए जाएंगे।
विभागाध्यक्ष कार्यालयों में अध्यक्ष को छोड़कर यदि अन्य अधिकारियों के समकक्ष पद मुख्यालय के बाहर हैं तो एक विभाग में तीन वर्ष कार्य कर चुके अधिकारियों को उनके समकक्ष पदों पर मुख्यालय से बाहर ट्रांसफर किया जाएगा।