झारखंड के राज्यसभा सीटों पर फिर सियासी घमासान मचा हुआ है। झारखण्ड में राज्यसभा की 6 सीटें है। जिसमें प्रत्येक 2 वर्षो में 2 सीटों पर चुनाव होता है। इस बार भी दो सीटों पर चुनाव होना है। लेकिन मैदान में तीन उम्मीदवार दम ठोक रहे हैं। लिहाजा ऐसी आशंका जोर पकड़ रही है कि आखिर हॉर्स ट्रडिंग के दंश से कौन सा दल घायल होगा। किसकी झोली भरेगी, किसका मन बदलेगा और कौन इधर से उधर जाएगा।
वैसे भी राज्यसभा में ऐसे लोग झारखण्ड से चुनकर जाते रहे हैं जो राजनीतिक दल से कम पैसे से ज्यादा सरोकार रखते है। झारखण्ड से आर के आनंद, के डी सिंह, परिमल नाथवाणी, प्रेमचंद गुप्ता अब तक चुनकर राज्यसभा में जा चुके हैं। इस बार भी बीजेपी ने व्यापारी प्रदीप संथालिया को उतारा है। प्रदीप संथालिया के पास 28 करोड़ की संपत्ति है। अब प्रदीप संथालिया बीजेपी का आभार जता रहे हैं, जिसने एक व्यापारी पर भरोसा जताई है।
राज्यसभा को देश के उच्च सदन के रूप में जाना जाता है, जिसमें समाज के प्रबुद्ध लोगों को भेजकर समाज और देश के लिए रचनात्मक कार्यो की जिम्मेवारी देने की परिकल्पना की गई थी। लेकिन समय के साथ इसमें पूंजीपतियों को भेजा जाने लगा है। राज्यसभा चुनाव अब पूंजीपतियों का सदन बनने लगा है। राजनीति में जनता के हाथों नहीं चुनकर जानेवालों का आशियाना बनता जा रहा है और ऐसा कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रदीप बालमुचू भी मानते हैं। प्रदीप बालमुचू की माने तो उच्च सदन को पूंजीपतियों के हाथ में जाने से रोकने के लिए राज्यसभा चुनाव में परिवर्तन किए जाने की जरूरत है।
दरअसल झारखण्ड में राजनीतिक दलों की ओर से पूंजीपतियों को उतारने के बाद विधायकों की खरीद परोख्त शुरू हो जाती है। इस बार भी दो सीटों पर तीन उम्मीदवार जोर आजमाइश कर रहे हैं। ऐसे में फिर विधायकों का बाजार गुलजार होने का डर जताया जा रहा है। बीजेपी ने जहां प्रदीप संथालिया पर दांव लगाया है तो कांग्रेस ने धीरज साहू को उतारा है। कांग्रेस ने धीरज साहू को केवल इसलिए टिकट दिया है कि वे बीजेपी के पूंजीपति प्रत्याशी प्रदीप संथालिया का मुकाबला करेंगे। इसे धीरज साहू भी बखूबी स्वीकार कर रहे है।
झारखण्ड राज्यसभा चुनाव के लिए पूंजीपतियों का चारागाह बन गया है और इसकी वजह से झारखंड का दामन दागदार हो रहा है।
ब्यूरो रिपोर्ट एपीएन