UP News: उत्तर प्रदेश के मोहबा से हैरान करने वाली खबर सामने आई है। जहां एक मजदूर ने फांसी लगाकर अपना जीवन खत्म कर लिया। इस बात की सूचान मिलते ही गांव में सन्नाटा पसर गया है, वहीं परिवार वालों का रो- रो कर बुरा हाल है। बताया जा रहा है कि मृत मजदूर अपनी आर्थिक स्थिति से बहुत परेशान था।
काफी समय से वो आर्थिक तंगी से जूझ रहा था और अंत में उसने हार कर आत्महत्या कर ली। शख्स ने एक पेड़ से लटकर कर फांसी लगा ली। मृतक की दो बेटियां भी है, जिनके सर से अचानक पिता का हाथ उठने से बेटियां अभी भी सदमे में हैं।
UP News: सुसाइड नोट के जरिए हुआ खुलासा
मजदूर ने मरने से पहले एक सुसाइड नोट लिखा था, जिसके बाद इस बात की पुष्टि हो पाई कि ये हत्या नहीं आत्महत्या है। सुसाइड नोट में मजदूर ने अपनी आर्थिक स्थिति बेहद खराब होने का जिक्र किया है। शख्स काफी समय से गरीबी में दिन गुजार रहा था। इसके कारण घर में भी कलह मची रहती थी। आर्थिक तंगी और घरेलू कलह के दबाव में हर समय शख्स रहता था। उसे अपनी दो जवान बेटियों की शादी की चिंता हर वक्त सता रही थी।
परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारने और बेटियों की शादी करने में नाकाम रहे मजदूर ने आत्महत्या करना जीने से ज्यादा आसान समझा। मजदूर ने सुनसान इलाके में जाकर नीम के पेड़ से फांसी लगा ली। घटना कबरई थाना क्षेत्र के किदवई की है।
UP News: महोबा में पहले भी हो चुकी है ऐसी घटना
इससे पहले भी ऐसी ही एक घटना हुई थी जहां जिले के चरखारी कोतवाली कस्बा क्षेत्र के मोहल्ला भैंसासुर में रहने वाले 48 वर्षीय शशि कुमार सक्सेना ने आर्थिक तंगी से परेशान होकर गुमान बिहारी मंदिर के तालाब में कूदकर अपनी जान दे दी। पति की मौत होने के बाद से उसकी पत्नी उषा का रो-रोकर बुरा हाल है। उषा ने बताया कि घर के आर्थिक हालात बेहद खराब हैं। मजदूरी न मिलने के कारण घर में दो वक्त की रोटी का इंतजाम भी नहीं हो पा रहा था तो वहीं सरकारी मदद भी नहीं मिल पाई, जिसके कारण उसका पति अक्सर परेशान रहता था।
उन्होंने बताया कि सरकारी राशन कार्ड बनवाने के लिए उसने कई बार अधिकारियों की चौखट के चक्कर लगाए, लेकिन आज तक उन्हें इस मूलभूत योजना का भी लाभ नहीं मिला। परिवार टूटे- फूटे कच्चे मकान में रहने को मजबूर है।
सरकार भले ही कितने ही बड़े- बड़े विकास के दावे क्यों ना करती हो पर राज्य में गरीब मजदूरों की ये मौते उनके दावों की पोल खोलती नजर आती है। ये हाल यूपी के एक जिले का नहीं बल्कि ऐसे कई जिले हैं जहां ज्यादातर आत्महत्या केवल आर्थिक तंगी के कारण ही होती है।
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