मोदी सरकार की नीतियों की तारीफ तो हर जगह हो रही है, लेकिन बात वहीं आकर ठहर जाती है कि नीतियों का क्रियान्वयन कब होगा। दरअसल, मोदी सरकार की स्मार्ट सिटी परियोजना का हाल बेहाल है। देश के शहरों को हाईटेक बनाने वाली इस परियोजना में काम काफी धीमी गति से चल रहा है। इसके लिए जारी किए गए फंड का अब तक केवल 7 फीसदी इस्तेमाल हो पाया है। बता दें कि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 60 शहरों को जारी किये गये 9,860 करोड़ रुपये में से महज सात प्रतिशत यानी करीब 645 करोड़ रुपये का ही उपयोग हो पाया है, जो शहरी मंत्रालय के लिए एक चिंता का कारण है। यह बात आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों से सामने आयी है।
करीब 40 शहरों में से प्रत्येक को 196 करोड़ रुपए जारी किये गए जिसमें से अधिकतम 80.15 करोड़ रुपए अहमदाबाद ने खर्च किये। इसके बाद इंदौर (70.69 करोड़ रुपए), सूरत (43.41 करोड़ रुपए) और भोपाल (42.86 करोड़ रुपए) रहे। आंकड़ों से खुलासा हुआ कि स्वीकृत धन में अंडमान एवं निकोबार ने महज 54 लाख रुपए, रांची ने 35 लाख रुपए और औरंगाबाद ने 85 लाख रुपए ही खर्च किये। मंत्रालय के एक अधिकारी ने कुछ शहरों में परियोजनाओं की असंतोषजनक प्रगति पर चिंता जतायी है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय उन शहरों से बात करेगा जो प्रोजेक्ट पूरे करने के उद्देश्य में पिछड़े हैं।
मंत्रालय के रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ शहर ऐसे हैं जहां 1 करोड़ रुपए भी इस्तेमाल में नहीं लाए गए हैं। अधिकारियों ने समीक्षा में पाया कि पंजाब, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र को परियोजना पर तेजी से काम करने की जरूरत है। जबकि उनके अनुसार मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और बिहार में स्मार्ट सिटी परियोजना पर अच्छा काम हो रहा है। याद दिला दें कि सरकार द्वारा स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत 90 शहर चुने गये हैं, जिनमें से विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए उन्हें केंद्र की ओर से सहायता के तौर पर हर एक को 500 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।