भ्रामक विज्ञापन देख कहीं न कहीं आप सभी भी धोखाधड़ी का शिकार हुए होंगे, ऐसे ही भ्रामक विज्ञापन के जाल में फंसने से देश के उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू भी खुद को नहीं बचा पाए। वैंकेया नायडू भी मोटापा घटाने की दवा मंगाने के नाम पर धोखाधड़ी का शिकार हो चुके हैं।
दरअसल सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने राज्यसभा में शुक्रवार को गुमराह करने वाले विज्ञापनों का मुद्दा उठाया। इस पर सभापति वैंकेया नायडू ने चिंता जताई। उन्होंने बताया कि ऐसे विज्ञापनों के लिए कंज्यूमर अफेयर मिनिस्ट्री को लेटर लिखा है। ये विज्ञापन असलियत से कोसों दूर होते हैं।
नायडू ने एक वाकये का जिक्र करते हुए सदन को बताया, “मैंने भी 28 दिन में वेट लॉस करने का ऐड देखा और प्रोडक्ट ऑर्डर किया था। इसकी कीमत 1230 रुपए थी। जब पैकेट खोला तो उसमें असली दवा मंगाने के लिए 1 हजार रुपए और पेमेंट के लिए कहा गया। इसके बाद, जानकारी जुटाई तो पता चला कि ये सब अमेरिका से हो रहा है।”
इसके बाद कंज्यूमर अफेयर मिनिस्टर रामविलास पासवान ने जवाब देते हुए कहा कि कंज्यूमर अफेयर प्रोटेक्शन एक्ट 31 साल पुराना है और इसे बदलने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, “हमने इसके लिए नया बिल लोकसभा में पेश किया था, लेकिन उसको स्टैंडिंग कमेटी के पास भेज दिया गया। हमने कमेटी के सुझाव बिल में शामिल कर लिए हैं। इसे कैबिनेट की भी मंजूरी मिल गई है। जल्द ही बिल को संसद में पेश करेंगे।”
सदन की शुरुआत में वैंकेया ने सांसदों को अंग्रेजों के वक्त से चली आ रही परंपरा को बदलने की सलाह दी। उन्होंने मेंबर्स से कहा- “आई बेग टू ले द पेपर्स…”(मैं पेपर्स को सदन के पटल पर रखने की विनती करता हूं) जैसी शब्दावली का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसके बजाए उन्हें सीधे कहना चाहिए कि मैं सदन के पटल पर पेपर्स रख रहा हूं।”