चीफ जस्टिस की टिप्पणी से नाराज़ वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने 11 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस छोड़ने की घोषणा की थी लेकिन अब एक बार फिर राजीव धवन सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलीलें पेश करते हुए दिखेंगे। राजीव धवन अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में पेश होने को राज़ी हो गए हैं। राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट में राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में अपने मुवक्किल के आग्रह करने पर यह फैसला किया है।
अयोध्या भूमि विवाद मामले में कुछ मुस्लिम संगठनों के वकील एजाज़ मकबूल ने एक पत्र के जरिए कहा है कि उन्होंने इस मामले में राजीव धवन से उनका प्रतिनिधित्व करने का अनुरोध किया है, जिसे उन्होंने ने स्वीकार कर लिया है। अब राजीव धवन एम सिद्दीकी और मिसबाउद्दीन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में उनके केस की पैरवी करेंगे और इस बारे में धवन चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर भी सूचित करेंगे।
इससे पहले वकील राजीव धवन ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर कहा था कि वह अब सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस नही करेंगे। इस पत्र में धवन ने कहा था कि उन्हें जिस तरह से दिल्ली बनाम उपराज्यपाल वाले केस के दौरान अपमानित किया गया उसके बाद उन्होंने कोर्ट प्रैक्टिस छोड़ने का फैसला लिया है। उन्होंने पत्र में चीफ जस्टिस से यह भी कहा कि आप मुझे दी गई वरिष्ठ वकील की उपाधि (गाउन) को वापस ले सकते हैं हालांकि मैं इसे मेरे द्वारा दी गई सेवाओं के लिए याद के तौर पर अपने पास रखना चाहूंगा।
दरअसल, 5 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद मुद्दे पर सुनवाई हुई थी। सुनवाई को दौरान कोर्ट के अंदर का माहौल काफी गर्मा गया था और वकील उंची आवाज़ में अपनी दलीलें रख रहे थें। इस बहस में कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, राजीव धवन और दुष्यंत दवे समेत कई अन्य वरिष्ठ वकील शामिल थे। इसी बहस के दौरान राजीव धवन ने तो कोर्ट रुम से वॉकआउट तक की धमकी दी थी।
इसके बाद दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल के मामले में भी चीफ जस्टिस और राजीव धवन आमने सामने आ गए थे। इस मामले की सुनवाई के वक्त चीफ जस्टिस से राजीव धवन की तीखी बहस हो गई थी। बस इसी पर राजीव धन ने कहा है कि उन्हें अपमानित किया गया इसलिए वह प्रैक्टिस छोड़ रहे हैं।
चीफ जस्टिस ने एक केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट में वकीलों के व्यवहार पर नारज़गी जताते हुए कहा था कि कोर्ट में उंची आवाज़ में बहस करना मंज़ूर नहीं होगा और इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने कहा था कि ‘बार’ इस मामले में अगर संज्ञान नहीं लेगा तो ‘बेंच’ को इसे रेगुलेट करना पड़ेगा।