देश को अभी ‘खुले में शौच’ से मुक्ति मिली नहीं है और यहां विवाद इस बात का शुरू हो गया है कि टॉयलेट किस डिजाइन का होना चाहिए। जी हां, बोहरा समुदाय के आध्यात्मिक गुरु सैयदना आलीकदर मुफद्दल मौला ने अपने समाज के लोगों से कहा है कि वे वेस्टर्न टॉइलेट की जगह इंडियन टॉयलेट का इस्तेमाल करें।  मौला का कहना है कि यह पहल अच्छी सेहत और संस्कृति को बचाने में मददगार है। मौला के इस फरमान के बाद बोहरा समाज दो धड़ों में बंट गया है। एक धड़ा वो है जो इस फरमान के पक्ष में है और दूसरा वो है जो इसका विरोध कर रहा है।

इस फरमान के बाद इसके प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न मस्जिदों द्वारा लोगों को संदेश दिए जा रहे हैं। लोगों को इसके फायदे और नियम-कानून समझाया जा रहा है। इसके पक्षकार लोगों से अपील कर रहे हैं कि वो अपना वेस्टर्न टॉयलेट तोड़वाकर नया इंडियन टॉयलेट बनवाए। वहीं इसके उलट कुछ लोगों का कहना है कि यह फरमान जोर-जबरदस्ती वाला है। ये एक फिजूल का फरमान है, इसको हम पर थोपा नहीं जा सकता। बांद्रा में रहने वाली दाऊदी बोहरा समुदाय की सकीना से भी यह अपील की गई। उससे कहा गया कि अगर उसके घर में वेस्टर्न स्टाइल का टॉइलट है तो वह उसे इंडियन स्टाइल का बनवा ले। वहीं सकीना नाम की महिला ने इस संदेश को मानने से मना कर दिया क्योंकि उसकी पीठ में दर्द रहता है। सकीना ने बताया कि उसे स्लिप डिस्क की समस्या है। वह इंडियन टॉइलट का प्रयोग नहीं कर सकती।

खबर के मुताबिक एस फैसले के पक्षकार बोहरा समाज के लोग इस कार्य को संस्कृति और सेहत से जोड़कर देख रहे हैं। बोहरा समुदाय के प्रवक्ता ने बताया भी है कि  वेस्टर्न टॉइलट प्रयोग करना उनकी संस्कृति के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इंडियन स्टाइल का टॉयलेट स्वास्थ्य के हिसाब से भी लाभदायक है। लोगों के बीच जागरुकता फैलाने के लिए यह अभियान चलाया जा रहा है। हालांकि उन्होंने कहा है कि इस आदेश में उन लोगों को छूट है जिनको इंडियन टॉयलेट में बैठने से स्वास्थ्य संबंधी समस्या है।

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