UP News: यूपी के गोंडा से एक शर्मसार करने वाली खबर आई है जहां अस्पताल ने मरीज को एंबुलेंस तक की सुविधा नहीं दी। मजबूरन अपने बीमार पिता को बेटे ने खुद कंधे पर लादकर घर तक पहुंचाया। गोंडा के बाबू ईश्वर सरन जिला चिकित्सालय से आई इस खबर ने प्रशासन की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है। जहां एक गरीब को अस्पताल में 4 दिनों तक भर्ती रहने के बाद पैसे के अभाव में न तो बेहतर इलाज मिला और न ही घर जाने के लिए एंबुलेंस।
परिवार इतना गरीब था कि उसके पास एंबुलेंस करने के लिए पैसे तक नहीं थे। ऐसे में बेटे ने 72 वर्षीय पिता को कंधे पर लादकर अस्पताल से करीब 30 किलोमीटर दूर कर्नलगंज पैदल अपने घर के लिए चल पड़ा। बाद में कुछ लोगों ने शख्स की मदद के लिए हाथ बढ़ाया और शख्स को पैसे देकर टैम्पो से घर भेजा।
फिलहाल गोंडा जिलाधिकारी डॉ उज्ज्वल कुमार ने पूरे मामले का संज्ञान लेते हुए जिला अस्पताल के CMS से पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी है। जिलाधिकारी का कहना है कि रिपोर्ट मिलने के बाद इस मामले से जुड़े लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
UP News: जानिए क्या है पूरा मामला

योगी सरकार भले ही स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने का दावा करती हो, लेकिन सरकारी अस्पताल में गरीबों को बिना जेब ढीली किए इलाज नहीं मिल पा रहा है। इस बात की पोल तब खुल गई जब कर्नलगंज तहसील के हलधर मऊ के रहने वाले शिव भगवान अपने पिता को अस्पताल इलाज के लिए ले गए। उनके 72 वर्षीय पिता को खांसी और सांस लेने में दिक्कत थी अच्छे इलाज की उम्मीद में शिव भगवान पिता को अस्पताल ले गए।
करीब 4 दिनों तक कर्नलगंज के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज कराया गया जहां उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। वहां के अधीक्षक ने मरीज को जिला अस्पताल भेज दिया। 20 मई को शिव भगवान ने अपने पिता को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया।
आरोप है कि वहां पर वार्ड में तैनात नर्स ने फाइल बनाने के नाम पर सौ रुपए की मांग की लेकिन पैसे न होने के कारण वो दे नहीं पाए। जिसके बाद मरीज को डेंगू वार्ड में डाल दिया गया। इस दौरान नर्स ने उन्हें बाहर से 2 इंजेक्शन मंगवाने के लिए कहा। शख्स ने किसी तरह 590 रुपये के 2 इंजेक्शन मंगवाए। 4 दिनों में सिर्फ वहीं दो इंजेक्शन लगाकर मरीज को रखा गया और अस्पताल से कोई भी दवा नहीं दी गई। जिससे बुजुर्ग मरीज की हालत और बिगड़ गई।

UP News: शख्स के एंबुलेंस मांगने पर अस्पताल ने किया दुर्व्यवहार
गरीब शख्स ने अपनी आप बीती सुनाते हुए बताया कि कैसे अस्पताल प्रशासन ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। शख्स का कहना है कि पिता की हालत नाजुक होने के कारण उसने अस्पताल से पिता को घर ले जाने की मांग की थी। अस्पताल से एंबुलेंस मांगने पर अस्पताल कर्मचारी ने उन्हें ये कह कर मना कर दिया कि एंबुलेंस मरीज लाती है लेकर नहीं जाती।
बेटे को जब कोई उपाय नहीं सूझा तो उसने पिता को कंधे पर लादकर 30 किलोमीटर दूरी पैदल चलने का निर्णय लिया।
UP News: प्रशासन ने मामले से पल्ला झाड़ा

इस घटना की जानकारी देते हुए जब मीडिया कर्मियों ने सीएमओ राधेश्याम केसरी को बताया तब उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक से बात करने की सलाह दे डाली। बाद में CMS(सीएमएस) इंदुबाला को पूरे मामले से जब अवगत कराया गया तब उन्होंने खानापूर्ति के लिए बयान दिया।
गैर जिम्मेदाराना बयान देते हुए इंदुबाला ने कहां कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है। अभी हमने वार्ड इंचार्ज से पूछा था तो उन्होंने बताया कि मरीज अपने आप चला गया है। हम इसकी जांच करेंगे। मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि अस्पताल ने बाहर से दवा लेने को कहा था तो उन्होंने कहा कि मैं यहां बैठी हूं उसे मेरे पास आना चाहिए।

अधिकारी हमेशा एक रटा- रटाया जवाब देते हैं कि इसकी जांच की जाएगी लेकिन आज तक जांच की आंच किसी भी कर्मचारी पर नहीं आती। बहरहाल अस्पताल की ये हरकत यूपी सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत को दिखाती है। ऐसे मामलों के सामने आने पर सरकार के सभी दावे खोखले नजर आते हैं।
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