भविष्य में सेना का युद्ध कैसा होगा इसकी भविष्यवाणी सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने की है। बुधवार को जनरल बिपिन रावत ने कहा कि भविष्य में युद्ध क्षेत्र की प्रकृति ‘जटिल’ होगी और लड़ाई का तरीका ‘हाइब्रिड’ होगा। अतः इस तरह की स्थितियों से निपटने के लिए उन्होंने क्षमता बढ़ोतरी की आवश्यकता जताई।
दरअसल जनरल बिपिन ‘फ्यूचर आर्मर्ड व्हीकल्स इंडिया 2017’ के एक सेमिनार के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि इलाके के स्वरूप में आ रहे बदलाव के साथ युद्धक टैंक जैसी बख्तरबंद गाड़ियों में पश्चिम के साथ-साथ उत्तरी सीमा पर संचालित किए जाने की क्षमता होनी चाहिए। जनरल रावत ने कहा कि थार मरूस्थल का कुछ हिस्सा सख्त हो रहा है। नहरों के विकास के साथ बंजर जमीनें हरी हो गई हैं और जनसंख्या बढ़ गई है, जो चुनौतियां पेश कर रही हैं। नहर प्रणाली के विकास के साथ हमें पुलों की जरूरतें पूरी करनी है और यह देखना है कि ये बख्तरबंद गाड़ियां किस तरीके से वहां काम कर पाएंगी।
सेना प्रमुख ने कहा कि भविष्य के लिए बख्तरबंद वाहनों को पश्चिमी और उत्तरी सीमा पर संचालन की क्षमता से लैस करना होगा। उन्होंने कहा, ‘हम लोग जो भी हथियार शामिल करने जा रहे हैं वह दोनों सीमा पर पारस्परिक रूप से काम करने की क्षमता से लैस हो।’
सेना प्रमुख की माने तो भविष्य के युद्धक्षेत्र जटिल होंगे और युद्ध की प्रकृति हायब्रिड हो जाएगी। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक क्षमताओं को बढ़ाने की जरूरत है। रावत ने कहा कि पारंपरिक युद्ध की तुलना में अब लड़ाई का तरीका बदल गया है। ऐसे में नए तरीकों की अनदेखी नहीं की जा सकती। साथ ही भविष्य में निसंदेह युद्ध के दौरान अंतरिक्ष और साइबर का इस्तेमाल बढ़ेगा। ऐसी परिस्थितियों में लड़ने के लिए हमें उसी प्रकार के हथियारों और तकनीक की जरूरत होगी।
हालांकि रावत ने कहा है कि सेना अपने यंत्रीकृत बलों के आधुनिकीकरण की तलाश कर रही है और इसके लिए एक समयसीमा होनी चाहिए। सेना 2025-2027 से आधुनिक टैंक और आईसीवी (इन्फैन्ट्री कॉम्बैट वाहन) को पेश करने की कोशिश भी कर रही है। रावत के मुताबिक बस इस समय हम कोई गलती नहीं कर सकते, हमें यह तय करना है कि हम क्या चाहते हैं, क्षमताएं क्या हैं और हमें क्या हासिल करना है।