Bihar News: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित कांटी थर्मल पावर प्लांट से फैल रही प्रदूषण ने स्थानीय लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। थर्मल पावर से निकलने वाली छाई (Coal Fly Ash) ने नदी को तो समाप्त कर ही दिया है साथ ही लोगों में सांस की और कैंसर जैसी बीमारी का कारण बन रहा है।
कांटी थर्मल पावर से हो रही समस्या को लेकर स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगाई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। लोगों का कहना है कि अगर प्रशासन और सरकार का यही रवैया रहा तो हमलोग कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
Bihar News: कैम्पस का लेवल गांव से करीब 10-12 फीट ऊंचा हो गया
कांटी थर्मल पावर प्लांट के कैम्पस का लेवल गांव से करीब 10-12 फीट ऊंचा हो गया है जिसके कारण जलजमाव की समस्या के साथ साथ आसानी से हवा के माध्यम से छाई वातावरण में फैला रहता है। चिमनी से उत्सर्जित छाई (coal fly ash) के अलावा कांटी थर्मल पावर प्लांट से सटे गांवों जैसे नरसंडा, विशुनपुर सुमेर, कांटी कोठियां एवं NH-28 पर कांटी चौक से चांदनी चौक तक सड़क छाई (fly ash)से पटा पड़ा रहता है।
सड़क पर चलना मुश्किल है। रोज सैकड़ों ट्रक से छाई की ढुलाई ईंट बनाने के लिए किया जा रहा है जिसके कारण धूल कण हवाओं में तैरते रहती है। सांस संबंधी बीमारी से लेकर लंग कैंसर होने का खतरा बढ़ गया है। पहले भी थर्मल के आस पास के गांव में छाई वातावरण में था परन्तु जबसे छाई की ढुलाई ईंट बनाने के लिए किया जा रहा, आस पास के गांव में छाई के कारण वायु प्रदूषण काफी बढ़ गया है।
पेयजल में भी हानिकारक कण
एक तरफ ये पार्टिकुलेट मैटर के रूप में समस्या पैदा करते हैं, तो दूसरी तरफ इनमें मौजूद भारी धातु सीधे हमारे फेफड़ों में घुसने के कारण ज्यादा बुरा असर डालते हैं। साथ ही जब ये छाई पानी में मिलती है, तो यह धातु उसमें घुल जाती है। सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट (सीएफएसडी) नागपुर, मंथन अध्ययन केंद्र पुणे और असर संस्था ने अध्ययन में पाया है कि थर्मल पावर प्लांटों ने सतह के पानी और भूजल को खतरनाक धातुओं ने दूषित कर दिया है, जबकि इनके फ्लाई ऐश ने हवा, पानी और मिट्टी को दूषित कर दिया है। थर्मल पावर प्लांट से सटे गांवों के लोग धातु युक्त पानी पीने को मजबूर हैं।
क्या कहना है स्थानीय लोगों का
स्थानीय नागरिक डॉ. हैदर का कहना था, ”कांटी थर्मल पावर से होने वाली परेशानियों को लेकर मैंने कई बार प्रशासन को पत्र लिखा है लेकिन प्रशासन ने अभी तक कोई कदम नहीं उठाया। समाज कल्याण के नाम पर खर्च होने वाली रकम एनटीपीसी कहां खर्च करती है पता ही नहीं चलता। अगर प्रशासन यहां की समस्याओं पर ध्यान नहीं देगी तो मजबूरन हमें कोर्ट जाना पड़ेगा।”
नरसंडा गांव के किसान लालबाबू प्रसाद चौधरी का कहना था, ” थर्मल से निकलने वाली छाई ने नदी को खत्म कर दिया। फसल तो खराब हुआ ही मवेशी पालना भी कठिन हो गया। बरसात के दिनों में पानी अलग जाम हो जाता है। सांस की बीमारी से परेशानी अलग ही है। कपड़े सूखने को रखो तो वह और काला हो जाता है। रात में आप छत पर नहीं सो सकते। काफी बुरा हाल है।”
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