बहुजन समाजवादी पार्टी के नेता राजेश यादव को देर रात इलाहाबाद विश्वविद्यालय के ताराचंद हॉस्टल में हत्या कर दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने उनके शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। कर्नलगंज कोतवाली की पुलिस अब मामले की पड़ताल में लगी है। हत्या के वक्त मौजूद रहे उनके मित्र डॉ मुकुल सिंह के खिलाफ परिजनों ने जांच करने की मांग की है।
जानकारी के मुताबिक राजेश यादव अपने मित्र डॉ. मुकुल सिंह के साथ फॉर्च्युनर गाड़ी से इलाहाबाद के ताराचंद हॉस्टल गए थे। रात लगभग 2 बजे हॉस्टल के बाहर राजेश यादव का किसी से विवाद हो गया। विवाद के दौरान ही कुछ अज्ञात लोगों ने उनके पेट में गोली मार दी, जिससे वे बुरी तरह से जख्मी हो गए। मौके पर पहुंचे उनके मित्र डॉ. मुकुल राजेश ने आनन-फानन में एक प्राइवेट अस्पताल ले गए जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
हत्या के बाद गुस्साए समर्थकों ने मंगलवार सुबह सड़कों पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने अपना गुस्सा आते जाते लोगों और वाहनों पर साधते हुए काफी तोड़फोड़ की। इतना ही नहीं समर्थकों ने रोजवेज की एक बस को भी आग के हवाले कर दिया। हालांकि इस दौरान बस में कोई नहीं मौजूद था। समर्थकों पर आरोप है कि उन्होंने विरोध प्रदर्शन के दौरान 10 राउंड फायरिंग भी की थी। पुलिस ने 6 समर्थकों को हिरासत में ले लिया है।
बता दें राजेश यादव भदोही के दुगुना गांव के निवासी थे। उन्हें भदोही के ज्ञानपुर विधानसभा से बसपा की तरफ से विधायकी का टिकट मिला था। हालांकि राजेश यादव को करारी हार का सामना करना पड़ा था। राजेश कंपनीबाग के पीछे हरितकुंज अपार्टमेंट में रहते थे।
राजनीति में आने से पहले राजेश यादव ने अपनी करियर की शुरुआत इंजीनियरिंग से की थी। वह समुद्र में पाइप लाइन बिछाने का काम करते थे। हालांकि इंजीनियरिंग लाइन छोड़ उन्होंने राजनीति में कदम रखा। साल 2010 में जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित होने के बाद वे राजनीति में सक्रिय हुए। यादव को 2009 में बसपा का प्रभारी बनाया गया था।