वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी स्लैब में कटौती के संकेत दिए हैं। जेटली ने कहा कि एक बार अगर राजस्व वसूली में बढ़ोत्तरी हो जाती है तो जीएसटी दरों और स्लैब्स में कटौती की जा सकती है। अभी वस्तुओं और सेवाओं को 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के स्लैब्स में बांटा गया है।
जेटली ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि हमारे पास शुरुआत से जीएसटी प्रणाली में सुधार की गुंजाइश है। लेकिन इसके लिए हमें राजस्व की दृष्टि से तटस्थ होना होगा। उन्होंने कहा कि राजस्व की दृष्टि से तटस्थ होने का मतलब है जीएसटी के बाद भी उतना ही राजस्व आए, जितना जीएसटी लागू होने से पहले आता था। वित्त मंत्री ने कहा बड़े सुधारों के लिए पहले हमें राजस्व तटस्थ यानी रेवेन्यू न्यूट्रल होना जरूरी है।
गौरतलब है कि मौजूदा समय में देश में टैक्स के चार स्लैब 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत हैं। 81 फीसदी सामानों पर 18 फीसदी या इससे कम का जीएसटी, वहीं 19 फीसदी सामानों पर अधिकतम 28 फीसदी जीएसटी लगाया है। वित्त मंत्री के बयान के अनुसार आने वाले समय में इन स्लैब्स में परिवर्तन हो सकता है।
चाहिए ‘विकास’ तो चुकाइए ‘कीमत’
वित्त मंत्री ने इस कार्यक्रम के दौरान कहा कि जिन लोगों को देश का विकास चाहिए, उन्हें इसकी कीमत भी चुकानी होगी और पैसे को ईमानदारी से खर्च करना होगा। उन्होने कहा कि कहा कि राजस्व सरकार के लिए लाइफलाइन की तरह है और यह भारत को विकासशील से विकसित अर्थव्यवस्था बनाने में मदद करेगा। टैक्स नियमों के कड़ाई से अनुपालन पर जोर देते हुए जेटली ने कहा कि टैक्सेशन में कोई ग्रे एरिया नहीं होती है। टैक्स अधिकारियों को दृढ़ और ईमानदार होने की जरूरत है ताकि जो लोग टैक्स दायरे में आते हैं वे टैक्स जमा करें और जो लोग जो टैक्स के दायरे से बाहर हैं उन्हें इसका बोझ ना सहना पड़े।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि अप्रत्यक्ष कर का बोझ समाज के सभी वर्गों द्वारा उठाया जाता है जबकि प्रत्यक्ष कर का भुगतान समाज के प्रभावी वर्ग द्वारा किया जाता है। ऐसे में राजकोषीय नीति के तहत आम लोगों द्वारा उपभोग किए जाने वाले उत्पादों पर अन्य की तुलना में कम टैक्स लगाने का प्रयास किया जाता है।