हिंदी दिवस के बहाने से : बोली और बोलने वाले दोनों लचीले होने चाहिए

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Hindi Diwas

Compiled By….दया सागर

आज पूरे देश में हिंदी दिवस मनाया जा रहा है। तमाम शिक्षण संस्थानों और सरकारी संस्थानों में पिछले सात या पंद्रह दिनों से हिंदी सप्ताह और हिंदी पखवाड़ा मनाया जा रहा है। छात्र, अध्यापक, कर्मचारी, अधिकारी सब हिंदी में अपनी-अपनी प्रस्तुतियां दे रहे हैं। किसी ने सही कहा है कि आप अपनी बात को अपनी भाषा में ही सबसे बेहतर तरीके से व्यक्त कर सकते हैं। प्रसिद्ध साहित्यकार भारतेन्दु हरिश्चंद्र ने भी माना है –

निज भाषा उन्नति अहे, सब उन्नति के मूल,

बिन निज भाषा ज्ञान के रहत हिय के शूल।

आपको बता दें कि भारतीय संविधान ने 14 सितंबर 1949 को हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिया था। इसलिए हर साल हम 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाते हैं। हालांकि हिंदी को यह सम्मान अंग्रेजी के साथ मिला था। तब से हर साल इस दिन हर स्कूल, कॉलेज और कार्यलयों में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। शिक्षण संस्थानों में हिंदी भाषा में क्विज, निबंध और कविता लिखने जैसे कई तरह के आयोजन किए जाते हैं।

वहीं हिंदी के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य करने वालों और इसके विकास में योगदान देने वालों को हिंदी दिवस के दिन दिल्ली के विज्ञान भवन में भारत के राष्ट्रपति द्वारा एक भव्य समारोह में पुरस्कृत किया जाती है।

आज के दिन तमाम बुद्धिजीवियों, विद्वानों द्वारा हिंदी की समकालीन स्थिति या दुर्दशा पर चर्चा की जाती है। सोशल मीडिया पर भी आज के दिन लोग अतिरिक्त उत्साह से हिंदी में चीजें पोस्ट करने लगते हैं। लेकिन इस अतिरिक्त उत्साह में भाषा की शुद्धता कहां और कब गायब हो जाती है, इसका पता ही नहीं चलता।

आज ही भारत के विस्फोटक सलामी बल्लेबाज और ट्विटर पर हमेशा एक्टिव रहने वाले वीरेंद्र सहवाग ने हिंदी दिवस की बधाई देते हुए एक ट्वीट शेयर किया। विडंबना देखिये इस ट्वीट  में ‘हिंदी’ को ही गलत तरीके से लिखा गया था। सहवाग जिस तरह जल्दबाजी में बल्लेबाजी करते थे और कभी-कभी इस जल्दबाजी के चक्कर में लापरवाही कर बैठते थे, लगता है शायद वह हिंदी दिवस की बधाई देने की जल्दबाजी में भी लापरवाही कर बैठे और हिंदी को ‘हिन्दि’ लिख बैठे। हालांकि सहवाग के ईमानदारी की दाद देनी होगी कि उन्होंने उस ट्वीट को डिलीट नहीं किया और अपनी गलती को स्वीकार करते हुए एक और ट्वीट किया जिसमें ‘हिंदी’ को सही तरीके से लिखा गया था। लेकिन तब तक सहवाग ट्रोलर्स के हाथ लग चुके थे और कइयों ने तो इसे सहवाग का हिंदी के प्रति मात्र दिखावा माना। एक ट्विटर यूजर ने लिखा ‘जिन्हें हिंदी का क, ख, ग भी नहीं आता वे भी आज हिंदी दिवस की बधाई दे रहे हैं। बहुत लोगों को तो हिंदी में भी बोलने में शर्म आती है देश में।’[/vc_column_text]

हालांकि भाषा के प्रति किसी भी तरह के ‘शुद्धतावाद’ से बचना चाहिए। भाषा का लचीलापन ही उसका सबसे बड़ा गुण होता है और उसी से भाषा समृद्ध और विस्तृत होती है। इसलिए भाषा के प्रति हमेशा प्रयोगवादी होना चाहिए और प्रयोग करने से कोई गुरेज नहीं करना चाहिए। जैसे आजकल जब से इंटरनेट की दुनिया का प्रसार हुआ है तब से हिंदी में अंग्रेजी के शब्दों की मात्रा बढ़ी है। यह कुछ हद तक सही है और कुछ हद तक गलत भी। अंग्रजी के कई शब्द ऐसे होते हैं जो आम लोगों की बोली-भाषा में रच-बस गए हैं, जैसे- इंटरनेट, कम्प्यूटर, ट्रेन, रेल आदि आदि। अब इन शब्दों का हमें ढूढ़ने से भी हिंदी नहीं मिलेगा। लेकिन अगर हम इन शब्दों का प्रयोग करें तो इसके लिखावट में शुद्धता जरूर होनी चाहिए। इसका मतलब है कि भाषा के प्रति शुद्धता से अधिक जरुरी है भाषाई शुद्धता, तभी हिंदी आगे फल-फूल सकेगा।

हिंदी को लेकर दूसरा विवाद उसके अस्तित्व, अस्मिता और पहचान को लेकर है। कई लोग हिंदी को राजभाषा के साथ-साथ इसे राष्ट्रभाषा का दर्जा देने की मांग करते हैं। उनका मानना है कि यह हिन्दुस्तान के सबसे बड़े भाग में सबसे ज्यादा लोगों द्वारा बोले जाने वाली भाषा है, इसलिए इसे राष्ट्र या राष्ट्रीय भाषा का दर्जा जरूर मिलनी चाहिए।

वहीं कई लोग इसे उत्तर भारत की भाषा मानते हुए इसे भारत के अन्य हिस्सों पर थोपी हुई भाषा मानते हैं। हमें ज्ञात है कि दक्षिण भारत में हिंदी के विरोध को लेकर समय समय पर हिंसक आंदोलन भी होते रहते हैं। हालांकि हिंदी का विरोध करने वालों में अधिकतर वे लोग हैं जिन्हें हिंदी से कोई गुरेज नहीं।

दरअसल इस मामले में दोनों पक्ष अतिवादी लगते हैं। जहां एक तरफ देश की विविधता को देखते हुए किसी एक भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिया जा सकता वहीं ‘हिंदी थोपी गई है’ यह भी कहना गलत है। भाषा की कोई सीमा नहीं होती और लोग उत्तर मध्यकाल और पूर्व आधुनिक काल में जब व्यापार के सिलसिले में एक जगह से दूसरे गए तो अपने साथ भाषा, संस्कृत और सभ्यता को लेकर गए। दरअसल यहां भी भाषा को लेकर लचीलापन दिखाना होगा। कई भाषा को सीखकर आप समृद्ध ही होते हैं ना कि दुर्बल।

बहरहाल आप सब को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं!

हिंदी दिवस की शुभकामना, इसके पक्ष-विपक्ष में कुछ महत्वपूर्ण और दिलचस्प ट्वीट्स-

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APN की टीम हिंदी दिवस के अवसर पर जगह-जगह गई और हिंदी की जानकारी को लेकर रियालिटी टेस्ट किया। देखें वीडियो –

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