हमारे देश हमेशा से रंगों और जाति को लेकर भेदभाव होता आया है। भारत में लोगों के मन में गोरा रंग पाने की इतनी चाहत होती है कि वह गोरे रंग वालों को ही सुदंर मानते हैं। भारत में ज़्यादातर लोग सावंले रंग के है लेकिन इसके बावजूद यहां सांवले रंग को पसंद नहीं किया जाता। यही नहीं यहां लोगों की इमेज भी उसकी त्वचा का रंग देखकर बनाई जाती है। जैसे अगर आपका रंग गोरा है तो आपको होशियार और अच्छा समझा जाएगा लेकिन इसके उलट सांवले रंग के लोगों को कम आंका जाता है। इसी का फायदा उठाकर फेयरनेस क्रीम बनाने वाली कंपनियां मुनाफा कमा रही हैं।
प्रियंका चोपड़ा भी इस रंगभेद का शिकार हो चुकी हैं। प्रियंका ने बताया कि 15 साल की उम्र तक वो बहुत सांवली थीं। दूसरी लड़कियों के गोरे रंग से तुलना होने पर वह दुखी होती थीं। प्रियंका चोपड़ा बॉलीवुड के बाद हॉलीवुड में भी अपनी पहचान बना चुकी हैं। हाल में वोग को दिए एक इंटरव्यू में प्रियंका चोपड़ा ने रंगभेद को लेकर बयान दिया है। इंटरव्यू में ये पूछे जाने पर कि रंगभेद के मुद्दे पर वो भारत और अमेरिका में से कहां ज्यादा असहज महसूस करती है, तो प्रियंका का जवाब था ‘भारत में, क्योंकि वहां गोरे रंग वालों को ही सुंदर माना जाता है‘।
जब उनसे पूछा गया कि डस्की कहे जाने पर कैसा लगता है तो उन्होंने कहा, ‘डस्की स्किन वाली ज़्यादातर लड़कियों को अकसर ये सुनने को मिलता है, अरे, बेचारी डस्की है। भारत में स्किन लाइटिंग क्रीम का खूब प्रचार होता है। विज्ञापनों में कहा जाता है कि आपकी स्किन का रंग एक हफ्ते में बदल जाएगा। ऐसा मैंने भी किया था तब मैं बहुत छोटी थी। ये तब की बात है जब मैं 20वें साल में थी। मैंने एक स्किन लाइटिंग क्रीम के लिए विज्ञापन किया था। मैंने बाद में जब उस विज्ञापन को देखा तो मुझे लगा कि ये मैने क्या कर दिया। इसके बाद मैं जैसी दिखती हूं खुद को उसी तरह प्यार करने लगी और मुझे लोगों को ये बताते हुए गर्व भी होता था। मुझे सच में अपना स्किन टोन अच्छा लगने लगा‘।
फ़िलहाल प्रियंका चोपड़ा इन दिनों कनाडा क्वांटिको सीजन 3 शूटिंग में बिजी हैं। वहीं दूसरी तरफ बॉलीवुड डीवा माधुरी दीक्षित के जीवन पर आधारित सिटकॉम को प्रोड्यूस भी कर रही हैं।