Allahabad HC: महंत नरेन्द्र गिरी मौत के मामले में आनंद गिरि की जमानत पर सुनवाई फिर टल गई है। सीबीआई अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरी मौत मामले की सुनवाई कोर्ट में फिर टल गई है। हत्याकांड में आरोपी शिष्य आनंद गिरि की तरफ से उनके वकीलों ने कोर्ट (Court) से समय की मांग की थी। कोर्ट ने 1 अप्रैल को सुनवाई करने का निर्देश दिया है। मालूम हो कि सीबीआई ने इस मामले में पहले ही जवाब दाखिल कर दिया है। आनंद गिरी पर महंत नरेंद्र गिरी को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है। निचली अदालत ने महंत आनंद गिरी की जमानत पहले ही खारिज कर दिया है। जिसके खिलाफ आनंद गिरी ने हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की है।
Allahabad HC: 36 आपराधिक केस दर्ज, लेकिन दो केस के आधार पर आपराधिक चार्ट बनाया, का जमानत देने से इंकार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गिरोह बंद कानून के तहत जेल में बंद 36 आपराधिक केसों में लिप्त खुदागंज, शाहजहांपुर के सोनू उर्फ जैनेन्द्र को जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है। विवेचना अधिकारी को नोटिस जारी कर एक हफ्ते में जवाब मांगा है, कि जब याची के खिलाफ 2013 से2021 तक 10 सालों में 36 आपराधिक केस दर्ज हैं, तो केवल 2 केस के आधार पर ही आपराधिक चार्ट क्यों तैयार किया है? यह आदेश न्यायमूर्ति साधना रानी ठाकुर ने दिया है।
याची का कहना है कि उसके खिलाफ दो आपराधिक मामले के आधार पर गैंग चार्ट तैयार कर 22 जुलाई 21से जेल में बंद रखा गया है, जबकि उसके खिलाफ 36 मामले दर्ज हैं और सभी में जमानत मिली हुई है। इसलिए गैंग्स्टर एक्ट में भी जमानत पर रिहा किया जाए। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है।
Allahabad HC: राशन दुकान का एजेंट होने के लिए स्थानीय निवासी होना जरूरी: कोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad HC) ने आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत रिवार में अविवाहित पुत्री को शामिल करने को संवैधानिक करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह मनमाना पूर्ण एवं विवाहिता पुत्री से विभेदकारी नहीं है। कोर्ट ने कहा कि कंट्रोल आर्डर 2016 में इस बात को स्पष्ट रूप से कहा गया है, कि लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिए आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सरकार राशन वितरित करवाती है। सस्ते गल्ले के दुकानदार सरकार के एजेंट होते हैं और स्थानीय निवासी को ही एजेंट रखा जाता है। कोर्ट ने कहा कि याची विवाहिता पुत्री है और दूसरे गांव की रहने वाली है, इसलिए वह मृतक आश्रित कोटे में राशन की दुकान का लाइसेंस पाने के योग्य नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि मृतक आश्रित सेवा नियमावली राशन वितरित के मामले में लागू नहीं होगी। खंडपीठ ने एकलपीठ के अविवाहित पुत्री को परिवार में शामिल करने को वैध करार देने के फैसले को सही माना और हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है।
यह फैसला न्यायमूर्ति एस पी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने कुसुमलता की विशेष अपील को खारिज करते हुए दिया है। याची अपीलार्थी का कहना था कि उसके पिता नेकराम इटावा के नेवादी खुर्द गांव में सस्ते गल्ले के दुकानदार थे। जिनकी मौत के बाद विधवा सुमन देवी ने आश्रित कोटे में दुकान आवंटन की अर्जी दी। बाद में स्वयं को असमर्थ बताते हुए अपनी विवाहिता पुत्री के नाम आवंटन अर्जी दी।
एसडीएम की अध्यक्षता में गठित समिति ने विधवा की अर्जी खारिज कर दी और विवाहिता पुत्री को स्थानीय निवासी न होने तथा विवाहिता पुत्री होने के कारण दुकान पाने के अयोग्य करार दिया।याची ने यह कहते हुए याचिका दायर की कि 5 अगस्त 19 के शासनादेश का खंड 4 (10)को असंवैधानिक घोषित किया जाए, क्योंकि परिवार में अविवाहित पुत्री को ही शामिल करना संविधान के अनुच्छेद 14का उल्लंघन है।
विमला श्रीवास्तव केस के हवाले से कहा कि पुत्री में विवाहित व अविवाहित में भेद नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। जिसे विशेष अपील में चुनौती दी गई थी।
खंडपीठ ने कहा याची विवाहिता पुत्री है जिसे परिवार में शामिल नहीं किया गया है। वह तहसील चकरपुर के राजपुर गांव की निवासी है। दोनों कारणों से वह आश्रित कोटे में दुकान का लाइसेंस पाने के योग्य नहीं है।
कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने पर कारण बताओ नोटिस जारी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है, कि कोर्ट को आश्वासन देकर पालन न करना कोर्ट को धोखा देना है। इसके लिए अधिकारियों के खिलाफ अवमानना आरोप क्यों न तैयार किया जाए?कोर्ट ने विशेष सचिव उत्तर प्रदेश लखनऊ आरबी सिंह व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रयागराज प्रवीण कुमार तिवारी को कारण बताओ नोटिस जारी कर 30 मार्च को स्पष्टीकरण के साथ तलब किया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने कोरांव में प्राइमरी स्कूल अध्यापक शैलेश कुमार यादव व दो अन्य की अवमानना याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता सत्येंद्र कुमार त्रिपाठी ने बहस की।कोर्ट के निर्देश पर हाजिर दोनो अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि चयनित अध्यापक याचियों को कार्यभार ग्रहण कराकर वेतन भुगतान किया जाएगा।याची अधिवक्ता ने बताया कि कार्यभार ग्रहण करवा दिया गया है, लेकिन वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है। जिस पर कोर्ट ने कहा कि आश्वासन का पालन नहीं करना कोर्ट को धोखा देना है।
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