देश के सबसे बड़े विलफुल डिफॉल्टर्स में से एक वरुण इंडस्ट्रीज के को-प्रमोटर कैलाश अग्रवाल को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया है। अग्रवाल देश के टॉप 10 विलफुल डिफॉल्टर्स में से एक हैं। वह अपने बिजनस पार्टनर किरण मेहता के साथ देश से बाहर चले गए थे। 5 अगस्त को जब कैलाश अग्रवाल दुबई से लौटे तो सीबीआई ने उन्हें दबोच लिया।

बता दें कि कैलाश पर बैंकों और दूसरी संस्थाओं का 2,500 करोड़ रुपये का कर्ज है। अग्रवाल और मेहता ने कथित तौर पर चैन्नई स्थित इंडियन बैंक को 330 करोड़ का चूना लगाया था। इसके अलावा कई अन्य बैंकों से भी 1,593 करोड़ रुपये लिए थे।

मार्च 2013 में ऑल इंडिया बैंक एंप्लाईज एसोसिएशन द्वारा तैयार विलफुल डिफॉल्टर्स की सूची के मुताबिक वरुण इंडस्ट्रीज और इसकी सहयोगी कंपनी वरुण जूल्स पर 10 सरकारी बैंकों का 1,242 करोड़ रुपये बकाया था। इसके अलावा कंपनी ने कई प्राइवेट बैंक और फाइनेंस कंपनियों से भी लोन ले रखा था।

इतना ही नहीं सीबीआई के मुताबिक, 2013 में ये जब डिफॉल्टर होने लगे तब इन्होंने शेयर्स के बदले मार्केट से काफी पैसा उठा लिया।

बता दें कि पिछले साल इंडियन बैंक की शिकायत पर सीबीआई ने वरुण इंडस्ट्रीज, अग्रवाल और मेहता के खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े का केस रजिस्टर किया था।  वहीं सीबीआई प्रवक्ता आरके गौड़ की माने तो , ‘वह भागे हुए थे और जांच से बच रहे थे।’  लेकिन 5 अगस्त को वो जैसे ही दुबई से लौटे सीबीआई ने उन्हें दबोच लिया।  फिलहाल स्थानीय कोर्ट ने उन्हें रिमांड पर भेज दिया है।

हालांकि यह पूरा मामला विजय माल्या जैसा ही था। बस इसमें डिफॉल्टर कैलाश हाथ लग गया जबकि माल्या अभी भी फरार हैं।

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