आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल की अगुवाई में 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने मौद्रिक समीक्षा बैठक में ब्याज दरों में कटौती की है। आरबीआई ने कमजोर मुद्रास्फीति और मांग में आई गिरावट को देखते हुए ये कदम उठाया है। महंगाई बढ़ने का जोखिम कम होने का हवाला देते हुए RBI ने रेपो रेट में चौथाई फीसदी की कटौती की है.. इस दर को 6.25 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया गया है। इसके साथ ही, रिवर्स रेपो रेट भी 0.25 प्रतिशत कम कर 5.75 प्रतिशत कर दी गई है।
इस कटौती का सीधा असर ग्राहकों की जेब पर पड़ने की संभावना है औऱ इससे होम लोन औऱ ईएमआई सस्ती हो सकती है। रेपो रेट वो दर है जिसमें रिज़र्व बैंक सभी बैंकों को क़र्ज़ देता है। रेपो रेट घटने का मतलब बैंकों के पास ज़्यादा पैसा होना है और बैंक बाजार को ज्यादा कर्ज दे सकते हैं। इसी तरह रिवर्स रेपो रेट वो दर है जिस पर रिज़र्व बैंक सभी बैंकों को ब्याज देता है।
अक्तूबर 2016 के बाद ये पहला मौका है.. जब रिजर्व बैंक ने नीतिगत दर में कटौती की है। जून के महीने में खुदरा महंगाई दर 1.54 फीसदी के निचले स्तर पर रही है.. जबकि मई महीने का औद्योगिक उत्पादन आंकड़ा 1.7 फीसदी रहा।