अदालतों में बेगुनाहों को मिलती ‘तारीख’ और नेताओं के हरकतों की पोल खोलने वाले सरकारी अफसरों को मिलता ‘तबादला’ अब आम बात हो गई है। नेताओं और बड़े बिजनेसमैन से टक्कर लेने वाले बहादुर पुलिस अफसरों के तबादलों के किस्से पहले सिर्फ फिल्मों में देखे जाते थे लेकिन अब रीयल दुनिया में भी ऐसे कई किस्से देखने को मिल जाएंगे। ऐसा ही एक और किस्सा सामने आया है जिसमें एआईएडीएमके की कद्दावर नेता शशिकला को वीआईपी ट्रीटमेंट दिए जाने के मामले को सामने लाने वाली आईपीएस अफसर डी रूपा का ट्रांसफर हो गया है। सोमवार को कर्नाटक सरकार की ओर जारी एक आदेश में साफ कर दिया गया है कि रूपा का ट्रांसफर तत्काल प्रभाव से किया जा रहा है।
डीआईजी रूपा का ट्रांसफर रोड सेफ्टी ऐंड ट्रैफिक विभाग में कर दिया गया है, वह अब रोड सेफ्टी ऐंड ट्रैफिक कमिश्नर होंगी। डीआईजी रूपा को उनके सख्त रवैये के लिए जाना जाता है। डीआइजी डी रूपा के तबादले पर राष्ट्रीय महिला आयोग ने विऱोध जताया है। महिला आयोग की सदस्य निर्मला सावंत ने कहा कि सिद्धरमैया सरकार के इस फैसले से गलत संदेश गया है।
बता दें कि कुछ दिन पहले खबर आई थी कि सेंट्रल जेल में बंद एआईएडीएमके प्रमुख शशिकला को वीवीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है। शशिकला के लिए जेल में एक अलग किचन की व्यवस्था की गई है। साथ ही शशिकला ने अधिकारियों को रिश्वत की तौर पर कुछ करोड़ रूपए भी दिए थे। ये सब आरोप डीआईजी डी रूपा ने शशिकला और जेल प्रबंधन पर लगाया था। इसके लिए डीआईजी रूपा ने डीजीपी जेल एचएन सत्यनारायण राव को पत्र लिखा, जिसमें शशिकला द्वारा अधिकारियों को रिश्वत के तौर पर दो करोड़ रुपए देने की बात है। यहां तक कि डीआईजी ने डीजीपी राव को भी इसमें शामिल बताया।
वहीं मीडिया के सवाल उठाने पर मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा कि यह प्रशासकीय प्रक्रिया है। हर बात मीडिया को बतानी जरूरी नहीं है।