एसबीआई के सफल विलय से उत्साहित वित्त मंत्रालय इस वित्त वर्ष के अंत तक सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकिंग में ऐसे अन्य प्रस्ताव को भी मंजूरी देने पर विचार कर रहा है। खबर आ रही है कि तीन या चार बड़े बैंकों के नेतृत्व में सरकार छोटे और मझोले बैंकों का अधिग्रहण करने जा रही है और उसका इरादा सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों की संख्या 21 से घटाकर करीब 12 करने का है। ऐसा करके सरकार वैश्विक आकार के 3-4 बैंक तैयार करना चाहती है।

एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि हालिया प्रस्ताव में तीन स्तरीय ढांचे के तहत देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के आकार के कम से कम 3-4 बैंक होंगे। हालांकि इस प्रस्ताव में पंजाब एवं सिंध बैंक और आंध्रा बैंक जैसे कुछ क्षेत्र विशेष के बैंकों और कुछ मझोले आकार के बैंकों का स्वतंत्र अस्तित्व बरकरार रखने की अनुशंसा की गई है।

पिछले महीने ही वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय की दिशा में सक्रियता से काम कर रही है। हालांकि उन्होंने इसका ब्योरा देने से इनकार करते हुए कहा था कि यह संवेदनशील सूचना है।

रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन ने कहा, इस नए प्रणाली में विविधता होगी और कुछ बड़े, कुछ छोटे और स्थानीय बैंक होंगे। वहीं एक अन्य अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि एक संभावित विकल्प तो यह हो सकता है कि पंजाब नैशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ोदा, कैनरा बैंक और बैंक ऑफ इंडिया ऐसे बैंकों की तलाश करना शुरू कर सकते हैं जो अधिग्रहण के लिए तैयार हैं।

बैंकों के इस विलय और समायोजन प्रक्रिया में उसके कर्ज, मानव संसाधन, भौगोलिक स्थिति आदि कारकों को भी ध्यान में रखा जाएगा और उम्मीद जताई जा रही है कि फंसे हुए कर्ज (एनपीए) की स्थिति तब तक नियंत्रण में आ जाएगी। यह भी बताया जा रहा है कि यह विलय की प्रक्रिया का प्रथम चरण होगा। दूसरे चरण में इन बैंकों की संख्या और घटाई जा सकती है। सरकार का मानना है कि देश में 5-6 से ज्यादा सरकारी बैंकों की जरूरत नहीं है।

आपको बता दें कि 1 अप्रैल 2017 को सरकार ने एसबीआई में उसके पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक का विलय किया था। इसके बाद से स्टेट बैंक देश का सबसे बड़ा और दुनिया के शीर्ष 50 बैंकों में जगह बनाने में कामयाब रहा था।

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