Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने दीवाली के दौरान पटाखों के इस्तेमाल करने के खिलाफ दर्ज मुकदमों को लेकर दाखिल याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका (Petition) खारीज करते हुए पूछा कि अनुच्छेद 32 के तहत जनहित याचिका दखिल कर दर्ज प्राथमिकी को रद्द कैसे किया जा सकता है? कोर्ट ने कहा कि अनुछेद 32 के तहत इस याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता। अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में सीधे याचिका दाखिल की जा सकती है।
कोर्ट ने कहा सभी FIR रद्द करने के लिए सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल नहीं की जा सकती। इसके लिए लोग उचित कानूनी प्रक्रिया अपनाएं। इस मामले में याचिकाकर्ता संजीव नेवर की ओर से कहा गया, कि विभिन्न राज्यों में कई प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। जिसमें मुकदमे ग्रीन पटाखे चलाने के लिए भी दर्ज किए गए हैं।
याचिकाकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट का पटाखों पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं होने के बावजूद भी ग्रीन पटाखे फोड़ने पर प्राथमिकी दर्ज की गई।
Supreme Court : पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए दी टिप्पणी
गौतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष पटाखों से पर्यावरण को होने वाले नुकसान पर टिप्पणी दी थी। कोर्ट का कहना था कि हम जश्न मनाने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन किसी की जान पर खेलकर कदापि नहीं। इस बाबत कोर्ट ने पटाखे फोड़ने पर सख्ती दिखाई थी। कोर्ट ने कहा था कि पटाखे फोड़ने से निकलने वाले धुंए से अस्थमा के मरीजों को नुकसान पहुंचता है। कोर्ट ने प्रतिबंध के बावजूद इसके इस्तेमाल पर नाराजगी जताई थी।
Supreme Court : कलकत्ता हाई कोर्ट का आदेश किया था रद्द
कलकत्ता हाई कोर्ट ने पिछले वर्ष सभी प्रकार के पटाखे फोड़ने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया था, इसमें ग्रीन पटाखे भी शामिल थे। इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिए जाने पर शीर्ष अदालत ने कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया । सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि ग्रीन पटाखों की पहचान को लेकर पहले से ही मैकेनिज्म मौजूद है। ऐसे में जब पटाखे राज्य में लाएं जाएं तो उनकी जांच की जाए।
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