Manmohan Singh: पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की ओर से भारत की विदेश नीति को लेकर दिए बयान पर भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि वह एक राजनीतिक बयान था न कि किसी नीति के तहत दिया गया बयान है। जहां तक चीन की बात है तो सारी चीज़ें साफ हैं कि कैसे स्थिति उत्पन्न हुईं।
दरअसल, मनमोहन सिंह ने मोदी सरकार की विदेश नीति (Foreign Policy) पर भी सवाल उठाए थे और कहा कि विदेश नीति के मामले में मोदी सरकार पूरी तरह से विफल साबित हुई है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा,चीन की सेना पिछले एक साल स अधिक समय से बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं और मोदी सरकार इस मामले को लगातार दबाने का प्रयास कर रही है।
Manmohan Singh के बाद यूक्रेन की स्थिति पर भी बोले Arindam Bagchi
वहीं यूक्रेन की स्थिति पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि निरंतर राजनयिक बातचीत के माध्यम से तनाव और मुद्दे के समाधान के तत्काल डी-एस्केलेशन का समर्थन और मिन्स्क समझौतों के कार्यान्वयन के लिए नॉरमैंडी प्रारूप के तहत किए जा रहे प्रयासों का स्वागत है। हम स्थिति का राजनयिक और शांतिपूर्ण समाधान देखना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि जब हम कोई एडवाइजरी जारी करते हैं, तो हम उसमें हो रहे घटनाक्रमों के साथ-साथ इस बात का आकलन भी करते हैं कि हम वहां अपने नागरिकों की सहायता कैसे कर सकते हैं। हमारा ध्यान भारतीय नागरिकों, भारतीय छात्रों, भारतीय नागरिकों पर है, न कि इससे बड़ा कुछ।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि तत्काल निकासी की कोई योजना नहीं है, इसलिए कोई विशेष उड़ानें नहीं हैं। हालांकि, एयर बबल व्यवस्था के तहत सीमित संख्या में उड़ानें थीं, उड़ानों और यात्रियों की संख्या पर प्रतिबंध हटा दिया गया था। भारतीय वाहकों को भारत-यूक्रेन के बीच चार्टर्ड उड़ानें संचालित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि आपने देखा होगा कि दूतावास द्वारा घटनाक्रम की निगरानी की जा रही है। उन्होंने दो एडवाइजरी जारी की है। हमने नियंत्रण कक्ष स्थापित किए हैं…मुझे नहीं लगता कि निकासी पर कोई निर्णय लिया गया है, हमारा दूतावास सामान्य रूप से काम कर रहा है और यूक्रेन में भारतीय नागरिकों को सेवाएं प्रदान कर रहा है
18 से 23 फरवरी तक जर्मनी और फ्रांस के दौरे पर रहेंगे विदेश मंत्री
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर 18 से 23 फरवरी तक जर्मनी और फ्रांस के दौरे पर रहेंगे। जर्मनी में वह म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में भाग लेंगे। वह विदेश मंत्रियों और सम्मेलन में भाग लेने वाले अन्य प्रतिनिधियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे।
उन्होंने कहा कि म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में, वह इंडो-पैसिफिक पर एक पैनल चर्चा में भाग लेंगे और एक आज़ादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम में भी चर्चा करेंगे, जिसकी मेजबानी म्यूनिख में हमारे भारत के महावाणिज्य दूतावास और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा सम्मेलन के मौके पर की जाएगी।
उन्होंने आगे कहा कि इसके बाद विदेश मंत्री पेरिस जाएंगे, जहां वह अपने फ्रांसीसी समकक्ष ज्यां-यवेस ले ड्रियन के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। उनके निमंत्रण पर, विदेश मंत्री 22 फरवरी को इंडो-पैसिफिक में सहयोग के लिए यूरोपीय संघ के मंत्रिस्तरीय मंच में भी भाग लेंगे।
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