MP FARMER: मध्यप्रदेश के महेश्वर में इटावदी गांव का एक किसान ऐसी औषधीय फसल का निर्माण कर रहा है जिसकी मांग विदेशों तक है। किसान दक्षिण अमेरिका की किनोवा और अरब देशों की अकरकरा की फसल उगा रहा है। यह फसल अंतरराष्ट्रीय बाजार में 50 हजार से 1 लाख रुपए क्विंटल तक बिकती है। बता दें कि अकरकरा औषधीय फसल है, जबकि किनोवा एक प्रोटीन फूड है। किसान मोहन पाटीदार निमाड़ 20 साल से इस औषधीय फसल को उगा रहे हैं। जिसके चलते किसान को उनके क्षेत्र में मेडिकल फॉर्मर(medical farmer) के नाम से जाना जाता है।
MP FARMER: अकरकरा और किनोवा फसल के फायदे
अकरकरा अरब मूल की फसल है। यह 6 से 8 महीने में तैयार होती है। किसान मोहन पाटीदार ने अकरकरा की फसल को 1 एकड़ में लगाया हुआ है। अकरकरा फसल से सिरदर्द, सर्दी खांसी, दांत के दर्द को कम करने में, मुंह की बदबू को दूर करने, गला साफ रखने, सांस संबंधी बीमारियों की दवाई बनाने में प्रयोग किया जाता है। अकरकरा के फूल, पंचागण और जड़ औषधी में काम आते हैं। किनोवा फसल दक्षिणी अमेरिका में प्रसिद्ध है। इस फसल में प्रचुर प्रोटीन और शरीर के अन्य पोषक तत्व मौजूद हैं। बता दें कि इसे विदेश में सुबह नाश्ते में लिया जाता है। यह वजन कम करने और मधुमेह नियंत्रण में उपयोगी होता है। साथ ही यह स्वस्थ हृदय, एनिमिया, पाचन हड्डियों के लिए कारगर है।
बता दें कि किसान मोहन पाटीदार ने 1999 में 12वीं कक्षा पास की। किसान मोहन ने भोपाल के सेडमैप से फसल प्रशिक्षण लिया और फिर 1 लाख रुपए बैंक लोन लेकर औषधीय मूसली की फसल लगाई। उसके बाद हर साल सफेद मूसली के अलावा अदरक, तुलसी, अश्वगंधा व किनोवा, अकरकरा की फसलें उगा रहे हैं। मोहन पाटीदार को वर्ष 2018 में मलेशिया की कॉमनवेल्थ वोकेशनल यूनिवर्सिटी (Commonwealth Vocational University) ने सम्मानित किया है।
मोहन सुखदेव पाटीदार के पास अपनी 20 एकड़ भूमि है। इस बार उन्होंने रबी की फसल के तौर पर 1 एकड़ में अकरकरा फसल को उगाने का चुनाव किया है। इसकी खेती में 6 से 8 महीने लगते हैं। देश में अकरकरा की खेती उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात, हरियाणा और महाराष्ट्र में की जाती है।
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