आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी सी-38 लॉन्च किया गया। आज सुबह 9.30 बजे इसरो के इसे लॉन्च किया। कार्टोसैट-2 श्रृंखला के इस रॉकेट का 14 देशों के 30 सह-उपग्रहों के साथ प्रक्षेपण किया गया है। इस रॉकेट को गुरुवार सुबह पांच बजकर 29 मिनट पर 30 सह-उपग्रहों के साथ कार्टोसैट-2 श्रृंखला के उपग्रह के प्रक्षेपण की 28 घंटों की उल्टी गिनती शुरू हो गई थी। 712 किलोग्राम वजनी कार्टोसैट-2 श्रृंखला के इस उपग्रह के साथ करीब 243 किलोग्राम वजनी 30 अन्य सह उपग्रहों को भी एक साथ प्रक्षेपित किया गया।
दरअसल यह सैटेलाइट हमारी सरहदों पर नजर रखेगा। आपको बता दें कि भारत ऐसे उपग्रहों के जरिए लगातार अपनी आसमानी आंखों की ताक़त में बढ़ोतरी कर रहा है। वैसे भी अगर हम भारत की सीमा पर सुरक्षा चिंताओं को लेकर इसे देखें तो ये एक जरूरत भी है। इसलिए इसरों ने अब ठीक वैसा ही एक और उपग्रह लांच किया, जिसका इस्तेमाल बीते साल पाक अधिकृत कश्मीर में हुए सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान किया गया था।
वैसे इस लांच को लेकर इसरो का कहना है कि यह यान 14 देशों से 29 नैनो उपग्रह लेकर जा रहा है, जिसमें ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, ब्रिटेन, चिली, चेक गणराज्य, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, लातविया, लिथुआनिया, स्लोवाकिया और अमेरिका के साथ-साथ भारत का एक नैनो उपग्रह भी शामिल है।इन 30 उपग्रहों का कुल भार 243 किलोग्राम और कार्टोसैट को मिलाकर सभी 31 उपग्रहों का कुल भार 955 किलोग्राम है। यह रॉकेट उपग्रहों को 505 किलोमीटर दूर ध्रुवीय सूर्य समकालिक कक्षा (एसएसओ) में स्थापित करेगा। इसके अलावा इसरो ने बताया कि ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी का यह 40वां सफर होगा और स्ट्रैप-ऑन मोटर्स के इस्तेमाल के साथ के तौर पर पीएसएलवी की यह 17वीं उड़ान होगी।
वहीं इसरो के अध्यक्ष ए एस किरण कुमार ने चेन्नई हवाईअड्डा पर संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि प्रक्षेपण के लिये सभी गतिविधियां जारी हैं। साथ ही साथ इसरो अध्यक्ष ने 19 जून को मंगलयान अभियान के 1000 दिन पूरे होने पर भी बधाई दी।