दक्षिण भारत (South India) में अपने तरह- तरह के व्यजनों के कारण मशहूर तमिलनाडु (Tamil Nadu) राज्य राजनीतिक उथल- पुथल को लेकर काफी चर्चा में रहा है। पेरियार (Periyar) के विचारों को आगे बढ़ाने वाला तमिलनाडु की झांकी को 26 जनवरी के गणतंत्र दिवस (Republic Day Parade) में शामिल नहीं गया। झांकी (Tableau) को केंद्रीय समिति ने परेड में शामिल करने की इजाजत नहीं दी थी। इस पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (M. K. Stalin) ने कड़ा विरोध जाता है। उन्होंने कहा कि ऐसा जानबूझकर किया गया है।
Tamil Nadu की Tableau
केंद्र द्वारा तमिलनाडु की झांकी को अस्वीकार करने के बाद इसे चेन्नई में हो रहे परेड में दिखाया गया। झांकी की तस्वीर अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। यूजर केंद्र के इस रवैये से नाखुश हैं। बता दें कि इस बार दिल्ली, पश्चिम बंगाल आदि की झांकियों को परेड में शामिल नहीं किया गया।
एमके स्टालिन ने केंद्र पर नाराजगी जाहिर की है। उन्होंन कहा कि हमारे साथ ऐसा जानबूझकर किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि हम हिंदी का विरोध नहीं करते हैं। बस हिंदी थोपने का विरोध करते हैं। हम तमिल के चाहनेवाले हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि हमें अन्य भाषाओं से नफरत है।
Tamil Nadu की झांकी खास?
तमिलनाडु की झांकी की तस्वीर को सोशल मीडिया पर लोग शेयर कर रहे हैं। तस्वीर में दिख रहा है कि शिवगंगा इस्टेट की रानी वेलु नचियार तलवार लेकर घोड़े पर बैठी हैं। वेलु नचियार 3 January 1730 – 25 December 1796) तक रानी थी। विकिपीडिया से मिली जानकारी के अनुसार Velu Nachiyar ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ युद्ध छेड़ने वाली भारत की पहली रानी थीं।
उसके पीछे राज्य का लोकप्रिय मंदिर कालेश्वर दिखाई दे रहा है। यह मंदिर भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती को समर्पित तमिलनाडु के लोकप्रिय मंदिरों में से एक है। द्रविड़ वास्तुकला में बने इस प्रसिद्ध मंदिर में अनेकों प्रकार की पूजा-अर्चना के साथ-साथ कई उत्सवों का भी आयोजन किया जाता हैं।
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