Karpuri Thakur Birth Anniversary: आज जननायक Karpuri Thakur की जयंती है। कर्पूरी ठाकुर 2 बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। वो बिहार के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे। हालांकि दुर्भाग्य से वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके, लेकिन अपने छोटे से कार्यकाल में उनके द्वारा किए गए कार्यों का असर आज भी बिहार ही नहीं देश की राजनीति में देखा जाता है।
Karpuri Thakur Birth Anniversary: सादगी की आज भी होती है चर्चा
Karpuri Thakur जितने अपने विचारधारा को लेकर अटल रहते थे उतने ही वो व्यक्तिगत जिंदगी की ईमानदारी का भी पालन करते थे। कई बार विधायक, सांसद मंत्री और 2 बार मुख्यमंत्री रहने के बाद भी उनके पास दिल्ली से लेकर पटना और यहां तक की उनके अपने गांव में भी कोई एक अच्छा मकान नहीं था। कर्पूरी ठाकुर की ईमानदारी को लेकर कई किस्सों को लोग आज उनकी जयंती के अवसर पर साझा कर रहे हैं।
Karpuri Thakur Birth Anniversary: क्या है कर्पूरी ठाकुर फार्मूला?
कर्पूरी ठाकुर फार्मूले के अंतर्गत OBC कोटा को विभाजित करके उसे विभिन्न समुदायों में उप-विभाजित किया जाता है। इस फार्मूले को कर्पूरी ठाकुर फर्मूला कहा गया क्योंकि उनके द्वारा ही इसकी शुरुआत की गयी थी। कर्पूरी ठाकुर फर्मूले का सुझाव था कि कोटे को उप-विभाजित किया जाये। जब कर्पूरी ठाकुर बिहार के मुख्यमंत्री बने थे तो उन्होंने पिछड़े वर्ग को अत्यंत पिछड़े वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) के नाम से विभाजित करके आरक्षण की शुरुआत की थी। मंडल आयोग के गठन से लगभग डेढ़ दशक पहले ही उन्होंने इस फर्मूले के आधार पर OBC वर्ग को बिहार में 26 प्रतिशत आरक्षण देने का काम किया था।
Karpuri Thakur Birth Anniversary: स्वतंत्रता आंदोलन में भी लिया था हिस्सा
कर्पूरी ठाकुर का जन्म समस्तीपुर जिले के पितौझिया गांव में हुआ था। पटना से 1940 में उन्होंने मैट्रिक परीक्षा पास की और स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे। आचार्य नरेंद्र देव के नेतृत्व में उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया था। 1942 के आंदोलन में भी उनकी भूमिका थी साथ ही साथ 1945 में वो जेल भी गए थे। 1952 में पहली बार वो बिहार विधानसभा के लिए चुने गए थे।
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