किसानों के प्रदर्शन और मंदसौर हिंसा के बाद मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शांति की अपील के  लिए अनिश्चितकालीन उपवास शुरू करने जा रहे हैं। इस उपवास का मकसद किसानों एवं जनता से चर्चा करके शांति बहाली स्‍थापित करना है।  मध्य प्रदेश में  हिंसक होते किसान आंदोलन को लेकर चौतरफा घिरे शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को अपने सरकारी निवास पर एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कहा कि ‘मैं पत्थर दिल नहीं हूं।  शांति बहाली के लिए मैंने फैसला किया है कि कल से मैं वल्लभ भवन (मंत्रालय) में नहीं बैठूंगा। मैं भोपाल के भेल दशहरा मैदान पर पूर्वाह्न 11 बजे से अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठूंगा।  तब तक बैठूंगा, जब तक शांति बहाल न हो जाए’।उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, “जब तक समाधान नहीं होगा, शांति नहीं होगी, अनशन जारी रहेगा। “

इतना ही नहीं शिवराज ने  किसानों से अपना आंदोलन स्थगित करने का अनुरोध करते हुए कहा, ‘आप कहीं मत जाओ, चर्चा के लिए आओ, जो चर्चा के लिए आना चाहते हैं, आइये। सभी समस्याओं को बातचीत से सुलझाया जा सकता है और यही लोकतंत्र का तरीका है’। उन्होंने कहा कि प्रदेश की जनता की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं होगा और राजधर्म का पालन करते हुए उनकी सरकार अराजक तत्वों से सख्ती से निपटेगी।  चौहान ने किसानों के प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा से दुखी होकर कहा, “अराजक तत्वों से निपटेंगे, जनता को सुरक्षा देंगे।  राजधर्म का पालन किया जाएगा।’ उन्होंने कहा, ‘कुछ लोगों ने 18 से 22 साल के बच्चों के हाथ में पत्थर थमाने का काम किया है।  कई जगह चक्काजाम की स्थिति होती है और वे (बच्चे) नजर आते हैं।  मुझे तकलीफ इस बात से होती है कि पत्थर वाले हाथ भी अपने बच्चों के हैं और उनको नेतृत्व देने वाला तंत्र भी अपना ही  है।’

वहीं इस मसले पर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने इस केजरीवाल शैली की नौटंकी बताते हुए कहा कि “प्रदेश में किसान अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर हैं। उनका समाधान करने के बजाय एक संवैधानिक पद पर बैठे मुख्यमंत्री नौटंकी पर उतर आए हैं और इसी में वो करोड़ों रूपए भी फूंक देंगे। सच्चाई यह है कि मुख्यमंत्री एक बार फिर मूल मुद्दे से ध्यान हटाने और प्रदेश की जनता को गुमराह करने के सस्ते हथकंडे पर उतर आए हैं।” इतना ही नहीं कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने ने भी ट्वीट करके कहा है कि, “उपवास की बजाय पुलिस को नियंत्रित करें।  किसानों पर लगाए गए झूठे मुक़दमे वापस लें और किसानों की मांगें मंज़ूर करें। अपनी नौटंकी करना बंद करें। “

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